इस शुभ योग में करे महाशिवरात्रि का व्रत और शिव पूजा, पूरी होंगी ये 10 मनोकामनाएं....

इस शुभ योग में करे महाशिवरात्रि का व्रत और शिव पूजा, पूरी होंगी ये 10 मनोकामनाएं….

महाशिवरात्रि पर्व 13 फरवरी को है और इस दिन बेहद शुभ योग बन रहा है। अगर आप इस योग में व्रत और शिव पूजा करेंगे तो मनोकामनाएं जरूर पूरी होंगी।इस शुभ योग में करे महाशिवरात्रि का व्रत और शिव पूजा, पूरी होंगी ये 10 मनोकामनाएं....

चंडीगढ़ में सेक्टर 30 के श्री महाकाली मंदिर स्थित भृगु ज्योतिष केंद्र के प्रमुख बीरेंद्र नारायण मिश्र के मुताबिक, शिवरात्रि सदैव अर्द्ध रात्रि को ही मानी जाती है। इस बार 12 फरवरी को रात 8:07 बजे से त्रयोदशी यानी प्रदोष लग रहा है, जो 13 फरवरी को रात 10:38 बजे तक रहेगा। ऐसे में 13 फरवरी को महाशिवरात्रि महाशिवरात्रि श्रवण नक्षत्र और सिद्ध योग में होगी। इसके चलते यह सवार्थ सिद्धि योग बन रहा है।

मिश्र के मुताबिक, शिवरात्रि अगर रविवार या मंगलवार को होती है तो उसे सर्वोत्तम माना गया है।  इस साल 13 फरवरी को शिवरात्रि और दिन मंगलवार पड़ रहा है। वैसे शिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण पक्ष में चतुर्दशी को मनाई जाती है। चतुर्दशी मंगवलार 22:36 से प्रारंभ होगी, जो 15 फरवरी 2018, 00:48 बजे खत्म होगी। इस दिन शिवरात्रि निशिथ काल पूजा का समय 24:09+ से 25:01+ तक होगा।

मिश्र ने बताया कि शिवरात्रि में चतुर्दशी रात्रि को यदि अष्टम मुहूर्त में आ जाता है तो शिवरात्रि का व्रत उसी तिथि में होता है। 13 फरवरी की रात 11 बजकर 46 मिनट से अष्टम मुहूर्त प्रारंभ रहेगा, जो पूरी रात रहेगा। 14 फरवरी को रात 12 बजकर 46 मिनट के बाद अष्टम मुहूर्त मिलता है, इसलिए महाशिवरात्रि का पर्व 13 फरवरी को ही होगा और व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा।

महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा होगी। रात्रि पहले प्रहर पूजा का समय: शाम 18:05 से 21:20 तक। रात के दूसरा प्रहर में पूजा का समय : रात 21:20 से 00:35 तक। तीसरा प्रहर पूजा का समय = 00:35 से 03:49 तक। चौथा प्रहर पूजा का समय =03:49 से 07:04 तक। बता दें कि महाशिवरात्रि पर्व मनाने के पीछे दो मान्यताएं हैं- एक, सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ था। दूसरा, इस दिन शिव का विवाह पार्वती से हुआ था।

साल भर में 12 शिवरात्रियां आती है, लेकिन इन सभी में फाल्गुन माह की शिवरात्रि को सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस त्योहार पर महिलाएं और लड़कियां विशेष कामना से व्रत रखती हैं। इस व्रत के प्रभाव से कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर प्राप्त होता है और जिन महिलाओं का विवाह हो चुका है, वे सौभाग्यशालिनी बनी रहती हैं। वहीं, इस व्रत को रखने से मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं, जैसे-

अविवाहितों की शीघ्र शादी होती है। सुहागिनों का सौभाग्य अखंड रहता है। दांपत्य जीवन में प्रेम की प्रगाढ़ता और सामंजस्य बना रहता है। संतान सुख मिलता है। धन, धान्य, यश, सुख, समृद्धि, वैभव, ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। आरोग्य वरदान मिलता है। नौकरी व करियर में मनचाही सफलता मिलती है। शत्रुओं का विनाश होता है। बाहरी भूत, प्रेत बाधा आदि से चमत्कारी ढंग से रक्षा होती है। आत्मविश्वास और पराक्रम में वृद्धि होती है। आभामंडल में चमत्कारी चमक आती है।

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