Bhima Koregaon Violence. महाराष्ट्र में वीरवार को एक व्यक्ति ने भीमा कोरेगांव आयोग के समक्ष आवेदन दायर किया है, जिसमें उसने एनसीपी प्रमुख शरद पवार को समन जारी करने का अनुरोध किया गया है। गौरतलब है कि यह आयोग महाराष्ट्र में 2018 भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच कर रहा है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में दरार दिखने लगी है। सरकार में शामिल राकांपा ने सोमवार को कहा कि पार्टी नेता और गृह मंत्री अनिल देशमुख यलगार परिषद भीमा-कोरेगांव मामले की विशेष जांच दल (एसआइटी) के जरिये समानांतर जांच के तौर-तरीके तय करेंगे। पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार ने इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को सौंपने को मंजूरी प्रदान कर दी थी। अगर समानांतर जांच हुई तो अलग-अलग निष्कर्षो को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच भी तनाव बढ़ सकता है।
मामले की एनआइए जांच की अनुमति देने के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के फैसले पर सार्वजनिक तौर पर नाखुशी जता चुके राकांपा प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को पार्टी के कैबिनेट मंत्रियों की एक बैठक की अध्यक्षता की। बाद में पत्रकारों से बातचीत में पार्टी प्रवक्ता और राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने कहा, ‘राकांपा के कैबिनेट मंत्रियों की बैठक में फैसला किया गया कि गृह मंत्री अनिल देशमुख सभी जरूरी प्रक्रियाओं की जांच करेंगे और यलगार परिषद मामले के लिए एसआइटी का गठन करेंगे।’
मलिक ने इस संवेदनशील मामले में अलग जांच के फैसले को न्यायोचित बताते हुए कहा, ‘कानून के अनुसार किसी एक घटना पर कोई भी राज्य सरकार समानांतर जांच दल का गठन कर सकती है। एनआइए एक्ट की धारा-10 के तहत एक अलग समिति का गठन किया जा सकता है।’
पवार ने रविवार को आरोप लगाया था कि केंद्र ने यलगार परिषद मामले की जांच एनआइए को इसलिए सौंपी है क्योंकि पूर्ववर्ती देवेंद्र फड़नवीस सरकार कुछ छिपाना चाहती थी। पवार ने इससे पहले भी मामले की जांच एसआइटी से कराने की मांग की थी। उनका कहना था कि केंद्र को जांच एनआइए को सौंपने से पहले महाराष्ट्र सरकार को विश्वास में लेना चाहिए था।