वर्ष 2022 में कुल चार ग्रहण पड़ेंगे जिसमें दो सूर्य और दो चंद्र ग्रहण होंगे। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि अप्रेल माह से ग्रहण लगने का सिलसिला शुरू होने जा रहा है। सूर्य और चंद्र ग्रहण का हमारे जीवन में बड़ा महत्व होता है। ये ऐसी दुर्लभ घटनाएं होती हैं, जिनसे हमारा वर्तमान और भविष्य प्रभावित हो जाता है। हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को शुभ नहीं माना गया है। इसलिए ग्रहण के दौरान कुछ नियमों का पालन करना अति आवश्यक है। जिससे ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचा जा सके। ग्रहण शुरू होने से पहले ही खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए, ताकि इन पर ग्रहण का बुरा असर न पड़े। इस दौरान कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए। मंदिर के पट बंद रखना चाहिए। घर पर ही भगवान की आराधना करना चाहिए। ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान दान जरूर करना चाहिए ऐसा करने से ग्रहण का अशुभ फल कम होता है।
वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण:
वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल की मध्य रात्रि व 1 अप्रैल की पूर्व रात्रि 12:15 से मोक्ष रात्रि 4:08 तक रहेगा। यह ग्रहण भारत मे दृश्य नही होने से इसका सूतक भी यहां नही लगेगा।
वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण:
वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर को पड़ेगा। इसका स्पर्श समय दोपहर 4:31 बजे से मोक्ष समय 5:57 बजे तक होगा। यह सूर्य ग्रहण भी भारत में नहीं देखा जा सकेगा। यह सूर्यग्रहण स्वाति नक्षत्र एवं तुला राशि पर होगा। इस लिए इस राशि वालो को रोग, पीड़ा व कष्ट हो सकते है। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और पूर्वोत्तर के इलाकों को छोड़कर देश के बाकी हिस्सों में यह ग्रहण देखा जा सकेगा। यह सूर्य ग्रहण इस साल की सबसे बड़ी दुर्लभ घटना होगी। इस दौरान सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा कुछ इस तरह आ जाएगा कि लोगों को सूर्य 63 प्रतिशत ढंका नजर आएगा। सम्पूर्ण भारत मे जहां पर भी ग्रहण दृश्य होगा वह ग्रसता ग्रस्त होगा। इसका सूतक सुबह 4:31बजे से प्रारम्भ होगा।
वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण:
वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण 16 मई को खग्रास चंद्र ग्रहण होगा। जो सुबह 7.02 बजे से शुरू होकर 12.20 बजे तक रहेगा। ये ग्रहण भारत मे दृश्य नही होगा।
वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण:
वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण 8 नवम्बर को पड़ेगा जो दोपहर 1:32 बजे से शाम 7.27 बजे तक रहेगा। यह भी पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। भारत मे इस समय दिन होगा, जिस कारण यह ग्रहण भारत मे मोक्ष होता हुआ ग्रस्तोदय रूप में दृश्य होगा। भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर के इलाकों में आसानी से देखा जा सकेगा। जबकि देश के बाकी हिस्सों में आंशिक ग्रहण दिखाई देगा।