New Delhi: भगवान विष्णु को सरंक्षण का भगवान माना जाता है और जब दुनिया खतरे में होती है तो बुरी शक्तियों से संसार को बचाने के लिए भगवान विष्णु पृथ्वी पर अवतार लेते हैं।अभी-अभी: POK में लगे पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे, पाकिस्तानी बोले- हिंदुस्तान जिंदाबाद-जिंदाबाद…
भगवान विष्णु के दस अवतार हैं और भगवान विष्णु का प्रथम अवतार मतस्य अवतार है, ऐसे में चलिए जानते हैं आखिर क्यों भगवान विष्णु ने ये अवतार लिया था।
मत्स्य अवतार भगवान विष्णु का पहला अवतार है। इस अवतार में विष्णु जी मछली बनकर प्रकट हुए थे। मान्यता के अनुसार एक राक्षस ने जब वेदों को चुरा कर समुद्र की गहराई में छुपा दिया था, तब भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार में आकर वेदों को पाया और उन्हें फिर स्थापित किया।
श्री विष्णु ने मत्स्य अवतार क्यों लिया, इसके संबंध एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है। एक समय में संखासुर नामक राक्षस ने त्रिलोक पर अपना अधिकार जमा लिया था जिसके बाद डरे हुए देवतागण भगवान श्री हरी के पास पहुंचे और उनसे मदद मांगी। देवताओं की परेशानी सुनने के बाद भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेने का निर्णय लिया।
संखासुर को पता चल चुका था कि देवतागण ने भगवान विष्णु से मदद मांगी हैं, ऐसे में देवताओं के शक्ति के स्रोत वेद मंत्रों के हरण का प्रयास संखासु करने लगा। संखासुर ने खुद को बचाने के लिए जल में प्रवेश किया, लेकिन भगवान विष्णु के तेज से वो बच नहीं सका और भगवान श्री हरी ने अपने दिव्य नेत्रों से संखासुर का पता लगा लिया तथा मत्स्य अवतार धारण कर संखासुर का वध कर दिया और वेद मंत्रो की रक्षा कर देवताओं को उनका वैभव लौटा दिया।