कोच्चि की 52 साल की सेलिना मिशेल की फोन की घंटी जब बजती है तो ये साफ हो जाता है कि उस इलाके में किसी की मौत हुई है। जब वो फोन उठाती हैं तो दूसरी तरफ से सिर्फ इतना ही सुनाई पड़ता है कि शव रास्ते में है..आप अंतिम क्रिया की तैयारी शुरू कर दें। सेलिना बिना देर किये अपने घर से निकलती हैं और अंतिम क्रिया की तैयारी के बाद शव के साथ आये लोगों से कहती हैं कि आप 2-3 घंटे बाद आकर शव की राख ले जाना। यह कहकर वह लोहे का शटर गिरा देती हैं।सेलिना मिशेल कोच्चि के ककानड श्मशानगृह की महिला प्रमुख हैं और पिछले 11 सालों से लगातार लोगों के अंतिम संस्कार करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही हैं। मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि अब वह मानसिक रूप से बहुत मजबूत हो गई हैं, उनके घर के पीछे ही श्मशान है और शवों का जलना उनके लिए एक सामान्य प्रक्रिया है। सेलिना बताती हैं कि महिलाएं कोई भी काम कर सकती हैं, उन्होंने खुद कई बार सुबह 3 बजे अंतिम संस्कार किया है लेकिन कभी डर नहीं लगा।
सेलिना की ये मुश्किल यात्रा कैसे शुरू हुई इसके बारे में उन्होंने जिंदगी के कई राज खोले। उन्होंने बताया कि जब वह 2 साल की थीं तभी उनकी मां का निधन हो गया था। 12 साल की उम्र में उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा क्योंकि पिता और उनकी चाची की आंखों की रोशनी चली गई थी। 22 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी गई। उनके पति मिशेल एक मजदूर थे जोकि रोजाना मजदूरी करके दो वक्त की रोटी का इंतजाम करते थे।
शादी के बाद उन्हें लगा कि उनकी जिंदगी की गाड़ी पटरी पर आ गई है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उनके पति शराब पीते थे और घर आकर उन्हें बेरहमी से पीटते थे। उनकी दो बच्चियां रोज यह सब देखती थीं। लेकिन धीरे-धीरे मिशेल पर कर्जा बढ़ता गया और उन्होंने अचानक घर छोड़ दिया। 19 साल पहले घर छोड़कर गए मिशेल के बारे में कोई नहीं जानता कि अब वो कहां हैं।