कलयुग के देव हनुमान जी का भव्य और चमत्कारिक मंदिर जयपुर से 20 किमी. दूर गलता तीर्थ के निकट पहाड़ियों पर बसा है। हनुमान जी के इस मंदिर को घाट वाले बालाजी के नाम से जाना जाता है। बजरंगबली का यह मंदिर काफी प्राचीन है और कहा जाता है कि किसी काम को शुरू करने से पहले घाट वाले बालाजी का आशीर्वाद ले लिया जाए तो वह काम सफल हो जाता है, इसलिए कहते हैं यहां आकर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। हनुमान जी की महिमा का गुणगान करते इस मंदिर की महिमा ही कुछ निराली है।
स्वयंभू है बालाजी महाराजइस स्थान पर बालाजी महाराज की प्रतिमा स्वयंभू है, यानी यहां बालाजी स्वयं प्रकट हुए थे। हनुमान जी को सभी कष्टों और दुखों से नाश करने वाला देवता माना जाता है। इनके आशीर्वाद से कठिन से कठिन कार्य भी आसान बन जाते हैं। बालाजी मंदिर में पवनपुत्र की प्रतिमा दक्षिणमुखी है।
मुंडन संस्कार
बजरंगबली की भक्ति से से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। अंजनिपुत्र के इस पावन दरबार में आकर भक्तों की ये आस्था और अटूट हो जाती है। भक्त अपने बच्चों के जन्म से जुड़े संस्कार, खासकर मुंडन संस्कार के लिए बालाजी के इस धाम में आते हैं। घाट के बालाजी के यहां बच्चे का मुंडन संस्कार करवाने से सभी कष्ट उसकी जिंदगी से कट कर गिर जाते हैं। जयपुर और उसके आस पास के लोग अपने बच्चों का मुंडन संस्कार बालाजी के इस पावन धाम में ही करवाते हैं।
जयपुर के कुल देवता हैं हनुमान जीघाट के बालाजी को जयपुर का कुल देवता माना जाता है। बजरंगबली को घाट के बालाजी के नाम से इसलिए पुकारा जाने लगा क्योंकि प्राचीन समय में मंदिर के आस-पास कई तालाब और पानी के कई घाट हुआ करते थे। अगली स्लाइड्स में जानें मंदिर में दर्शन का समय…
मंदिर में दर्शन का समयसुबह 5 बजे श्री बालाजी महाराज को जगाया जाता है और फिर उन्हें स्नान करवाया जाता है। 7 बजे पुरे श्रृंगार के बाद आरती होती है। जयपुर के इस बालाजी मंदिर में दोपहर के दर्शनों महत्व अधिक बताया गया है। कहा जाता है कि दिन में 12 बजे से तीन बजे तक घाट के बालाजी के करने से मनचाहा वरदान मिलता है। रात 10 बजे संध्या आरती के बाद भोग लगाकर मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। हर मंगलवार और शनिवार को बालाजी महाराज का चोला बदला जाता है।