Delhi Electric Vehicle Policy 2019: इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर लिए गए दिल्ली सरकार के फैसले को दूरगामी परिणाम देने वाला बताया जा रहा है। आने वाले कुछ समय में इलेक्ट्रिक वाहनों से दिल्ली में प्रदूषण से तो कम होगा ही साथ ही यह दिल्ली एवं एनसीआर के लोगों को रोजगार भी देगा।
बता दें कि दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2019 में न सिर्फ सब्सिडी देने की बात कही गई है, बल्कि ये भी तय किया गया है कि निजी स्तर पर चार्जिग स्टेशन बनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसमें लगने वाले सभी उपकरणों की खरीद के लिए बिजली आपूर्ति कंपनियों के जरिए विशेष प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा भवन उपनियम के नियमों में बदलाव किया जाएगा। हाउसिंग सोसाइटी में बनने वाली पार्किंग में 20 फीसद पार्किग जगह ई-वाहनों के लिए चिन्हित होंगी, वहां चार्जिग स्टेशन बनाएं जाएंगे। अपने घर या कार्यस्थल पर कोई भी चार्जिग स्टेशन बिजली कंपनी के लिए जरिए लगवा सकेगा। हर तीन किलोमीटर पर ई-वाहन चार्जिग स्टेशन हो, इसके लिए अलग से इलेक्ट्रिक वाहन सेल बनाया जाएगा।
इलेक्टिक गाड़ियां ही किराये पर लेगी सरकार
दिल्ली सरकार की कोशिश रहेगी कि विभाग जो भी कार किराये पर लेते हैं वह ई-वाहन हो। जो भी बसें खरीदी जाएंगी, कोशिश की जाएगी कि उसमें 50 फीसदी बसें ई-बस हों। इसमें बड़ी बसों के अलावा फीडर बसें भी शामिल होंगी। इसके अलावा सरकार अगले एक साल में जो भी वाहन किराये पर लेगी वह ई-वाहन होंगे।
लास्ट माइल जैसे फूड डिलीवरी, कोरियर आदि वाहनों को इलेक्ट्रिक में किए जाने पर बढ़ावा दिया जाएगा।
ओला-उबर के लिए स्पेशल प्रावधान
ओला या उबर जैसे सवारी सेवा प्रदाता यदि इलेक्ट्रिक दो पहिया टैक्सी शुरू करते हैं, तो उनके लिए स्पेशल प्रावधान किया गया है। लास्ट माइल जैसे फूड डिलीवरी, कोरियर वाले जो वाहन का इस्तेमाल करते हैं। उनके लिए सरकार ने लक्ष्य रखा है कि मार्च 2023 तक 50 फीसद वाहन इलेक्टिक में शिफ्ट हो जाएंगे। इसके बाद 2025 तक 100 फीसद वाहन इलेक्ट्रिक में शिफ्ट किए जाएंगे।
ई-ऑटो के लिए परमिट की लिमिट नहीं
ई-ऑटो के लिए अब ओपन परमिट सिस्टम लागू होगा। ऑटो परमिट का पुराना सिस्टम बदला जाएगा। अभी जारी होने वाले परमिट की संख्या तय होती है, लेकिन ई-ऑटो के लिए ऐसी लिमिट नहीं होगी। लाइसेंस और बैज होने पर ई-ऑटो खरीदकर दिल्ली में चला सकेंगे।
रजिस्ट्रेशन, रोड टैक्स से 100 छूट
पॉलिसी के मसौदे में एक बड़ा प्रावधान यह है कि ई-ऑटो, इलेक्ट्रिक मालवाहक गाड़ी समेत सभी श्रेणी के इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर रजिस्ट्रेशन फीस, रोड टैक्स पर 100 फीसद माफ होगी।
वाहनों से 40 फीसद होता है प्रदूषण-कैलाश गहलोत
दिल्ली में होने वाले प्रदूषण में वाहनों का प्रदूषण एक बड़ा कारण है। दिल्ली में कुल प्रदूषण का 40 फीसद 2.5 पीएम वाहनों की वजह से होता है। 80 फीसद कार्बन मोनो आक्साइड की वजह भी वाहन हैं। इसलिए हमारी सरकार नवंबर 2018 से प्रदूषण रहित ई-वाहन को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन नीति पर काम कर रही थी। ई-वाहन नीति पर यह सारा खर्च प्रदूषण कर, सड़क कर, ग्रीन टैक्स चार्ज के जरिए की जाएगी। इसके अलावा ई-वाहन को बढ़ावा देने के लिए ईवी स्टेट बोर्ड बनेगा, जो कि पूरी नीति को लागू कराएगी। नीति को जल्द ही अधिसूचित कर दिया जाएगा। कहा जा रहा है कि सरकार की यह नीति मील का पत्थर साबित होगी।
एक साल में आएंगे 35 हजार इलेक्ट्रिक वाहन : मुख्यमंत्री
राजधानी को प्रदूषण मुक्त करने और इसे इलेक्ट्रिक वाहनों की राजधानी बनाने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि दिल्ली में एक साल में 35 हजार इलेक्ट्रिक वाहन आ जाएंगे और करीब 250 स्थानों पर चार्जिंग स्टेशन बना दिए जाएंगे। दिल्ली में अगले पांच साल में पांच लाख इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हो जाएंगे। यह इलेक्ट्रिक वाहन लाइफ टाइम में 6 हजार करोड़ रुपये का तेल और गैस की बचत करेंगे। 48 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जित होने से रोकेंगे। नए ई-वाहन 159 टन पीएम-2.5 का उत्सर्जन कम करेंगे।
वायु प्रदूषण कम करना और बड़े स्तर पर नौकरियां उत्पन्न करना लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पॉलिसी के दो मकसद हैं। एक वायु प्रदूषण को कम करना है और दूसरा इससे बड़े स्तर पर नौकरियां पैदा करना। पॉलिसी में सबसे ज्यादा दोपहिया, तीन पहिया, पब्लिक ट्रांसपोर्ट व सामान ढोने वाले वाहनों को महत्व दिया गया है। वर्तमान में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन .2 प्रतिशत से भी कम हैं और तीपहिया वाहन की संख्या लगभग शून्य है।