इरफान पठान ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया हो, लेकिन वह अपने पीछे भारतीय क्रिकेट में कई यादगार पल छोड़ गए हैं। नौ साल के अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान इरफान 2007 विश्व कप सहित भारत की कई यादगार जीत के गवाह रहे।
शुरुआती ओवरों में विकेट चटकाने की कला उनसे बेहतर शायद किसी दूसरे भारतीय गेंदबाज को आई हो और उस दौर को संन्यास लेने के बाद भी इरफान काफी याद कर रहे हैं।
अपनी कोण बनाती गेंदों से विरोधी खेमे में हलचल मचाने वाले इरफान पठान से अभिषेक त्रिपाठी ने उनके करियर से जुड़ी तमाम पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। पेश है उस बातचीत के प्रमुख अंश :
– किसी भी खिलाड़ी के करियर में उसे सफलता से ज्यादा असफलता का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उस लिहाज से देखेंगे तो आप कभी भी खुश नहीं रह पाएंगे।
आप हमेशा ज्यादा से ज्यादा सफलता हासिल करना चाहेंगे। मैं भी जब पीछे मुड़कर देखता हूं तो सोचता हूं कि मैं इससे ज्यादा सफलता हासिल कर सकता था क्योंकि जब मैं 27 साल का था तब मैं 300 विकेट ले चुका था जबकि कई खिलाड़ी इस उम्र में अपना करियर शुरू करते हैं।
ऐसे में आप कह सकते हैं कि मैं इससे ज्यादा सफलता अर्जित कर सकता था लेकिन मेरा परिवेश देखेंगे तो अलग कहानी मालूम होगी। मैं वहां क्रिकेट खेलकर बड़ा हुआ हूं जहां सुविधाएं नहीं थी।
मैं वहां से आया हूं जहां मैं कैनवास के जूते से गेंदबाजी किया करता था लेकिन अगर आज किसी लड़के के लिए मुझे जूते के लिए प्रयोजन करना हो तो मैं वह भी कर सकता हूं। रब का बड़ा शुक्र है कि मैं जहां से आया हूं और जो कुछ हासिल किया है, वह मेरे लिए संतोषजनक रहा है।
मैंने अपने परिवार से बात की। वालिद (पिता) और भाई से चर्चा की। भाभी और पत्नी के अलावा सभी को एक साथ बिठाकर बात की और उन्हें बताया कि मुझे लगता है कि संन्यास की घोषणा करने का अब समय आ गया है। पिछले साल ही मैंने इसके बारे में सोचा था लेकिन कुछ कारणों से यह तब नहीं हो पाया था।