मध्य प्रदेश में भले ही बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब नहीं रही है, लेकिन सत्ता पर काबिज होने की कवायद को उसने अभी तक नहीं छोड़ा है. कांग्रेस सरकार के कई विधायक जिनमें बाहर से समर्थन दे रहे निर्दलीय और सपा-बसपा के विधायकों को गुरुग्राम के एक होटल में देखा गया तो कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे और ऑपरेशन लोटस की चर्चा तेज हो गई.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा बीजेपी पर लगाए गए हॉर्स ट्रेडिंग के आरोपों पर मंगलवार सुबह से लेकर मिडनाइट तक सियासी ड्रामा चलता रहा है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने विधायकों को पाला बदलने के लिए 5-10 करोड़ रुपए का ऑफर दिया है.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि बीजेपी मध्य प्रदेश के कांग्रेस, बसपा, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय के विधायकों को बंधक बनाकर दिल्ली लाई. बीजेपी ने बसपा के 2, एक निर्दलीय और 6 कांग्रेसी विधायकों को गुड़गांव के आईटीसी मराठा होटल में एकत्रित किया है. हालांकि कांग्रेस ने दावा किया है कि उन्होंने बीजेपी के कब्जे से छह विधायकों को छुड़ा लिया है.
मध्य प्रदेश में पथरिया से बसपा के रमाबाई, भिंड से संजीव कुशवाहा अनूपपुर सीट से कांग्रेस विधायक बिसाहूलाल, सुवासरा से कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग, सुमावली से कांग्रेस विधायक ऐंदल सिंह कंसाना, मुरैना से कांग्रेस विधायक रघुराज कंसाना, दिमनी से कांग्रेस विधायक गिर्राज दंडोतिया, गोहद से कांग्रेस विधायक विधायक रणवीर जाटव, सपा विधायक राजेश शुक्ला और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ऐसे नेता हैं, जिनकी वजह से कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल छा गए थे.
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि 6 विधायकों को कांग्रेस ने होटल से निकाल लिया है. बीएसपी विधायक राम बाई को पूरे परिवार सहित पहले ही छुड़ा लिया गया था. कांग्रेस सरकार बचाने की मुहिम में शामिल कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री और दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह और जीतू पटवारी की अहम भूमिका रही है.
वहीं, दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने का आरोप बीजेपी नेता रामपाल सिंह, नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया, संजय पाठक पर लगाया है. उन्होंने कहा कि ये चार बीजेपी नेता विधायकों को पैसे बांटने का काम कर रहे थे.
मध्य प्रदेश के सियासी समीकरण
दरअसल मध्य प्रदेश के 230 सदस्यों वाले सदन में फिलहाल दो सीटें रिक्त हैं, जहां उपचुनाव होने हैं. कमलनाथ सरकार को सपा के एक, बसपा के दो, चार निर्दलीय और कांग्रेस के 114 सदस्यों समेत कुल 121 सदस्यों का समर्थन हासिल है. वहीं, बीजेपी के पास 107 सदस्य हैं. बहुमत के लिए बीजेपी को सिर्फ नौ सदस्यों की जरूरत है.