कोरोना संकट काल में केंद्र सरकार ने इकोनॉमी को बूस्ट देने के लिए करीब 21 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर भारत पैकेज का ऐलान किया था. इस पैकेज में अधिकतर रकम कर्ज के तौर पर दिए जा रहे हैं. इसी के तहत, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सेक्टर को करीब 3 लाख करोड़ का कर्ज दिया जा रहा है.
एमएसएमई को ये कर्ज गारंटीड इमरजेंसी क्रेडिट लाइन योजना (ईसीएलजीएस) के जरिए मिल रहा है. सरकार ने इस योजना के नियमों को करीब 10 दिन पहले नोटिफाई किया था. सूत्रों का कहना है कि 1.5 लाख से अधिक एमएसएमई या व्यवसाय पहले ही सुविधा का लाभ उठा चुके हैं.
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बातचीत के दौरान बताया कि 1.5 लाख एमएसएमई और व्यवसायों के लिए शुक्रवार तक स्वीकृत कुल कर्ज लगभग 13,500 करोड़ है.
वहीं, 6000 करोड़ से अधिक कर्ज वितरित किए जा चुके हैं. उम्मीद है कि अधिकांश एमएसएमई और व्यवसाय जून के अंत तक योजना का लाभ उठा सकते हैं.
आपको बता दें कि गारंटीड इमरजेंसी क्रेडिट लाइन योजना के तहत 45 लाख एमएसएमई और व्यवसायों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. यह योजना 31 अक्टूबर तक के लिए है.
गारंटीशुदा आपात कर्ज (जीईसीएल) योजना का मकसद छोटे उद्योग को संकट की इस घड़ी में आसानी से कर्ज सुलभ कराने में मदद करना है. इससे कारोबार के लिए सस्ती ब्याज दर पर लोन मिलेगा.
वहीं एमएसएमई परिचालन देनदारी को पूरा कर, अपना कारोबार शुरू कर सकेंगे. योजना के तहत दिये जाने कर्ज पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिये ब्याज 9.25 प्रतिशत नियत किया गया है जबकि एनबीएफसी के मामले में यह 14 प्रतिशत है. जीईसीएल के तहत दिये गये कर्ज की मियाद चार साल होगी और पहले भुगतान करने पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा.
इसके साथ ही जीईसीएल से प्राप्त कर्ज की मूल रशि लौटाने के लिये एक साल की मोहलत दी गई है. हालांकि, जो ब्याज बनेगा, वह छूट अवधि के दौरान भी देना होगा.
मोहलत अवधि समाप्त होने के बाद 36 महीने में मूल राशि लौटानी होगी. इस योजना का फायदा वो एमएसएमई भी ले सकते हैं, जिसमें 29 फरवरी 2020 तक बकाया कर्ज 25 करोड़ रुपये है और सालाना कारोबार 2019-20 में 100 करोड़ रुपये रहा है.
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत दिया गया कर्ज भी इसके दायरे में आएगा. इसमें 29 फरवरी या उसके पहले के कर्ज आएंगे, इसकी जानकरी मुद्रा पोर्टल पर दी जाएगी.