DJErajendra nagar sthit treatment plant.....photo nilesh holkar

इंदौर निगमायुक्त आशीष सिंह ने अफसरों को एक-दो दिन में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट शुरू करने के दिए निर्देश

इंदौर नगर निगम ने प्रतीक सेतु (राजेंद्र नगर ब्रिज) के नीचे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने का काम करीब-करीब पूरा कर लिया है। निगमायुक्त आशीष सिंह ने अफसरों को एक-दो दिन में प्लांट शुरू करने के निर्देश दिए हैं। यह एसटीपी राजेंद्र नगर की ओर से बहकर आने वाले नाले पर बनाया गया है। नाले में 27 कॉलोनियों का गंदा पानी मिलता था जिसे उपचारित करने की सुविधा जुटाई गई है।

यह भी खासियत

– टैंक से एक लाइन एबी रोड की तरफ डाली गई है जहां हाईड्रेंट बनाकर बगीचे और निर्माण कार्यों के लिए ट्रीटेड पानी दिया जाएगा।

– एबी रोड पर लाइन डाइट कैंपस, फलबाग तक डाली जाएगी ताकि वहां खेती के उपयोग में पानी का इस्तेमाल हो सके।

– राजेंद्र नगर क्षेत्र के बगीचों तक इस एसटीपी से लाइन डाली जाएगी। बचे पानी को सरस्वती नदी में छोड़ेंगे।

– अमितेष नगर के पास स्टॉप डेम बनाया गया है। उपचारित पानी वहां रोककर फव्वारे चलाने में उपयोग लाया जाएगा।

स्वच्छता का मुख्य सर्वे शुरू, अगले चार-पांच दिन रहेगी गहमागहमी

लंबे इंतजार के बाद शहर में स्वच्छता की मुख्य सर्वे टीम ने आमद दर्ज करा दी है। अगले चार-पांच दिन यह टीम इंदौर में रहकर सफाई और अन्य इंतजामों की जांच करेगी। शहरी विकास मंत्रालय द्वारा दी गई लोकेशन पर पहुंचकर सर्वेयर मौके की स्थिति के फोटो खींचकर दिल्ली भेजेंगे। इसके अलावा जनता से फीडबैक भी लिया जाएगा। सर्वे टीम आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों में जाकर वहां स्वच्छता इंतजामों को परखेगी। अपुष्ट खबरों के अनुसार मंगलवार को सर्वे टीम ने शहर के कुछ हिस्सों का निरीक्षण किया। स्वच्छता सर्वे का यह सबसे अहम पड़ाव है क्योंकि इंदौर लगातार चौथी बार इस सर्वे में पहले नंबर पर आने की दावेदारी कर रहा है।

विषय विशेषज्ञों के अनुसार इस बार भी इंदौर का दावा सबसे पुख्ता इसलिए है क्योंकि यहां जो काम हो रहे हैं, दूसरे शहर अभी उनसे बहुत पीछे हैं। पिछले साल ही निगम ने ट्रेंचिंग ग्राउंड का पुराना कचरा खत्म कर दिया था। घरों और दुकानों से 100 प्रतिशत गीला-सूखा कचरा अलगअलग करके लेने में इंदौर तो नंबर वन है ही, साथ ही 100 प्रतिशत इकट्ठा हुए कचरे की प्रोसेसिंग यहां की जा रही है। कई शहरों में स्थिति यहां से अलग है।

इस बार सख्ती ज्यादा सर्वे की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए सर्वे टीम कब-कहां जाएगी, इसका जानकारी गुप्त रखी जा रही है। सर्वे टीम के पहुंचने के बाद ही निगम अफसरों को पता चल पाएगा कि टीम किस जगह होकर आई है? मंत्रालय स्तर से ही सर्वे कर रही कंपनी को ऐसे दिशानिर्देश दिए गए हैं।

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