13 वर्षीय अथर्व मित्तल की डेंगू से मौत ने शहर की स्वास्थ्य सेवाओं और प्रबंधन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस साल डेंगू से होने वाली यह दूसरी मौत है।
इंदौर में डेंगू के बढ़ते मामलों ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। हाल ही में, श्याम नगर निवासी 13 वर्षीय अथर्व मित्तल की डेंगू से मौत ने शहर की स्वास्थ्य सेवाओं और प्रबंधन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस साल डेंगू से होने वाली यह दूसरी मौत है। अथर्व की तबीयत सात दिसंबर से खराब थी, जब उसके गले में दर्द शुरू हुआ।
प्रारंभिक जांच और इलाज के बाद, प्लेटलेट्स कम होने पर उसे अरबिंदो अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी स्थिति और बिगड़ गई। अस्पताल में इलाज के दौरान प्लेटलेट्स की संख्या 40 हजार से घटकर 13 हजार तक पहुंच गई, जिसके बाद उसे डीएनएस अस्पताल रेफर किया गया। वहां वेंटिलेटर पर रखने के बावजूद अथर्व को बचाया नहीं जा सका।
अस्पताल पर लगा लापरवाही का आरोप
अथर्व की मौत के बाद परिवार ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। मां मीनू ने बताया कि अथर्व पैदल चलकर अस्पताल गया था और उसकी स्थिति इतनी गंभीर नहीं थी। परिवार ने बेटे की मौत के लिए अस्पताल की गलतियां जिम्मेदार ठहराई हैं। दूसरी ओर, अरबिंदो अस्पताल के प्रबंधक का कहना है कि बालक गंभीर हालत में ही अस्पताल लाया गया था और डेंगू की पुष्टि उसकी रिपोर्ट में हुई थी। स्वजन की मर्जी पर ही उसे दूसरे अस्पताल में रेफर किया गया था।
प्लेटलेट्स गिरते ही सावधान होना जरूरी
डेंगू के लक्षण जैसे तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द और त्वचा पर चकत्ते दिखने पर विशेषज्ञों ने समय पर इलाज कराने की सलाह दी है। प्लेटलेट्स की गिरावट पर तुरंत ध्यान देना आवश्यक है। अथर्व की मौत ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी उजागर किया है कि स्वास्थ्य विभाग को सही समय पर जानकारी न मिलने से स्थिति और बिगड़ सकती है। डेंगू नियंत्रण और इलाज में सुधार के लिए प्रशासन को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
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