स्वच्छता में छक्का लगाने के बाद अब इंदौर की सफाई व्यवस्था को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। यहां सफाई व्यवस्था पर निगरानी रखने के लिए एनजीओ को जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन वह इस कार्य को करने में गंभीरता नहीं दिखा रही है। नियम अनुसार प्रत्येक कचरा गाड़ी में सफाईकर्मियों के साथ एनजीओ के कार्यकर्ता को भी रहना है, पर वे गाड़ियों के साथ नजर नहीं आते हैं। इसके लेकर कई संस्थाओं और रहवासियों ने शिकायत की है, मगर अधिकारी पूरे मामले को दबाने में लगे रहते हैं। कार्यकर्ताओं के गायब रहने के बावजूद नगर निगम से हर महीने लाख रुपये का भुगतान एनजीओ को किया जाता है। रविवार को महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने औचक निरीक्षण किया। उन्हें कचरा गाड़ियों के साथ एनजीओ के कार्यकर्ता नहीं दिखे तो उन्होंने नाराजगी जताई।
शिकायत मिलने के बाद रविवार को महापौर भार्गव और स्वास्थ्य प्रभारी अश्विनी शुक्ल ने औचक निरीक्षण किया। वार्ड छह में कचरा गाड़ियों के साथ एनजीओ के लोग नहीं थे। निगमकर्मियों से इसके बारे में पूछा तो वे भी ठीक से जवाब नहीं दे पाए। यहां तक मौके से महापौर ने एनजीओ के कार्यकर्ताओं से संपर्क किया। थोड़ी देर बाद आए कार्यकर्ताओं को जमकर फटकार लगाई। वहीं कर्मचारियों की संख्या भी आधी थी। बाद में रजिस्टर देखा, उसमें भी निगमकर्मियों और एनजीओ के लोगों के एक ही पेन से हस्ताक्षर दिखे। रजिस्टर में एक भी दिन की अनुपस्थिति दर्शाई नहीं गई। यह देखकर महापौर भड़क गए और बोले कि साठगांठ करके काम चल रहा है।
अब काटा जाएगा वेतन – वार्ड छह के बाद महापौर ने वार्ड 43 का दौरा किया। इस दौरान स्वास्थ्य सीएचओ अखिलेश उपाध्याय को कहा कि अगर एनजीओ के लोग कचरा गाड़ियों के साथ नहीं घूमे तो उनका वेतन काटा जाए। साकेत में जाकर महापौर ने रहवासियों से चर्चा की। यहां भी रहवासियों ने कचरा संग्रहण को लेकर बिगड़ी व्यवस्था के बारे में बताया।