इंडोनेशिया में पिछले कई दिनों से नए श्रम कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस प्रदर्शन ने अब हिंसा का रुप धारण कर लिया है। कई इंडोनेशियाई शहरों में इस कानून से खफा हजारों छात्रों ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया। छात्रों और श्रमिकों का मानना है कि इस नए कानून से मजूदरों के अधिकारों का हनन होगा यही नहीं इससे हमारे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचेगा।
जकार्ता के राष्ट्रपति के महल के पास पत्थर फेंकने वाले प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों और हाई स्कूल और विश्वविद्यालय के छात्रों सहित प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस ने कई उच्च विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस छोड़ी। जिससे सड़कें धुएं से भरे मैदान में बदल गई।
बता दें कि प्रदर्शनकारियों ने इस कार्रवाई के विरोध में पत्थर और बोतलें फेंकी। बता दें कि इस घटना के दौरान राष्ट्रपति भवन में मौजूद नहीं थे। उस जोको विडोडो (President Joko)मध्य कालीमंतन प्रांत (Central Kalimantan province) के दौरे पर थे।
इस प्रदर्शशन के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने रात होते ही जकार्ता शहर में एक मेट्रो आश्रय (subway shelter) में आग लगा दी, जिससे वह क्षेत्र एक भयानक आरेंज कलर में तब्दील हो गया। यही नहीं प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर जाम लगा दिया। कई कारों और एक सिनेमाघर को आग के हवाले कर दिया है। इतना नहीं कई सरकारी कार्यालयों को भी नुकसान पहुंचाया।
इंडोनेशिया के शीर्ष सुरक्षा मंत्री मोहम्मद महफूद ने गुरुवार देर रात एक टेलीविज़न समाचार सम्मेलन में कहा कि सरकार पुलिस और सामुदायिक सदस्यों पर सार्वजनिक सुविधाओं और शारीरिक हमलों को नुकसान पहुंचाने की किसी भी कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं करेगी। महफूद ने कहा कि यह प्रदर्शन बेहद ही असंवेदनशील है।
इसके साथ ही राष्ट्रीय COVID-19 टास्क फोर्स के प्रवक्ता विकू अदिसमितो( Wiku Adisasmito) इस प्रदर्शन में कोरोना नियमों के उल्लघंन पर भी अपनी चिंता प्रकट की। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शन में ज्यादातर प्रदर्शनकारी बिना मास्क के एक साथ इकट्ठा होते हुए नजर आए।