हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि का त्योहार वर्ष में चार बार मनाया जाता है जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि मुख्य होते हैं। वहीं माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि आता है। नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ रूप की आराधना की जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 13 अप्रैल से हो रहा है और समापन 22 अप्रैल को होगा। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है।
नवरात्रि पर देवी जगदंबा को प्रसन्न करने के लिए उनके नौ रूपों की पूजा-अर्चना, पाठ और आरती की जाती है। देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप हैं- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि।
13 अप्रैल- नवरात्रि प्रतिपदा- माँ शैलपुत्री पूजा और घटस्थापना
14 अप्रैल- नवरात्रि द्वितीया- माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
15 अप्रैल- नवरात्रि तृतीया- माँ चंद्रघंटा पूजा
16 अप्रैल- नवरात्रि चतुर्थी- माँ कुष्मांडा पूजा
17 अप्रैल- नवरात्रि पंचमी- माँ स्कंदमाता पूजा
18 अप्रैल- नवरात्रि षष्ठी- माँ कात्यायनी पूजा
19 अप्रैल- नवरात्रि सप्तमी- माँ कालरात्रि पूजा
20 अप्रैल- नवरात्रि अष्टमी- माँ महागौरी
21 अप्रैल- नवरात्रि नवमी- माँ सिद्धिदात्री , रामनवमी
22 अप्रैल- नवरात्रि दशमी- नवरात्रि पारणा
इस बार चैत्र नवरात्रि आरंभ मंगलवार के दिन से होगा जिसकी वजह से मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी। इससे पहले शारदीय नवरात्रि पर भी मां मां घोड़े पर सवार होकर आई थीं।
मान्यता है कि नवरात्रि पर देवी दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं, जहां वे नौ दिनों तक वास करते हुए अपने भक्तों की साधना से प्रसन्न होकर उनको आशीर्वाद देती हैं। नवरात्रि पर देवी दुर्गा की साधना और पूजा-पाठ करने से आम दिनों के मुकाबले पूजा का कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि पर ही विवाह को छोड़कर सभी तरह के शुभ कार्यों की शुरुआत करना और खरीदरारी करना बेहद ही शुभ माना जाता है। मान्यता है भगवान राम ने भी लंका पर चढ़ाई करने से पहले रावण संग युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए देवी की साधना की थी।
नवरात्रि पर सभी शक्तिपीठों पर विशेष आयोजन किए जाते हैं जहां पर भारी संख्या में लोग माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनके दरबार में शीश झुकाने जाते हैं।
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है जिसे कलश स्थापना भी कहते हैं। पहले दिन घटस्थापना का विशेष महत्व होता है। प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ ही नौ दिनों तक चलने वाला नवरात्रि का पर्व आरंभ हो जाता है। पहले दिन में विधि-विधान से घटस्थापना करते हुए भगवान गणेश की वंदना के साथ माता के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा, आरती और भजन किया जाता है।