इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरूआत 13 अप्रैल से हो रही है. नौ दिनों तक मां के पूजा-अर्चना का कार्यक्रम चलेगा. इन नौ दिनों में भक्त पूरी श्रद्धा से मां की भक्ति में लग जाते हैं. नवरात्रि में मां के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए नौ दिन तक उपवास भी रखते हैं. नवरात्रि की शुरूआत कलश स्थापना के साथ होती है. कलश स्थापना और पूजा की विशेष तैयारी की जाती है.
लाल रंग मां दुर्गा का सबसे खास रंग माना जाता है. इसलिए पूजा शुरू करने से पहले लाल रंग के आसन का इंतजाम कर लें. आप लाल रंग के कपड़े का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा मां के लिए लाल चुनरी, कुमकुम, मिट्टी का पात्र, जौ, साफ की हुई मिट्टी, जल से भरा हुआ सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश, लाल सूत्र, मौली, इलाइची, लौंग, कपूर, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, पानी वाला नारियल, फूल माला और नवरात्रि कलश मंगा लें.
मां दुर्गा को खाली चुनरी कभी नहीं चढ़ानी चाहिए. चुनरी के साथ सिंदूर, नारियल, पंचमेवा, मिष्ठान, फल, सुहाग का सामान चढ़ाने से मां खुश होती हैं और आर्शीवाद देती है. मां दुर्गा को चूड़ी, बिछिया, सिंदूर, महावर, बिंदी, काजल चढ़ाना चाहिए.
अगर आप नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाना चाहते हैं तो पीतल या मिट्टी का दीया साफ कर लें. जोत के लिए रूई की बत्ती, रोली या सिंदूर, चावल जरूर रखें.
नवरात्रि में रोज हवन करना चाहते हैं तो हवन सामग्री भी मंगाकर रख लें. हवन के बिना मां की पूजा अधूरी भी मानी जाती है. इसके लिए हवन कुंड, लौंग का जोड़ा, कपूर, सुपारी, गुग्ल, लोबान, घी, पांच मेवा और अक्षत का इंतजाम कर लें.