आर्थिक विकास को रफ्तार देने के लिए सरकार राजकोषीय विस्तार को चुन सकती…

देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पांच जुलाई को मोदी सरकार 2.0 का पहला बजट पेश करने जा रही हैं। इस समय राजनीतिक स्थिरता, कच्चे तेल की कीमतों में कमी, कम मुद्रास्फीति, ब्याज दरों में गिरावट, मुद्रा में स्थिरता, ठीक-ठाक विदेशी मुद्रा भंडार और नियंत्रित राजकोषीय घाटा कुछ ऐसे कारक हैं जो देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत तस्वीर बयां करते हैं। हालांकि, बढ़ता एनपीए, NBFC/लिक्विडिटी संकट, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में खपत में तेजी से गिरावट, कृषि क्षेत्र में संकट की स्थिति और निजी निवेश व नौकरियों की कमी दिखाती है कि आंतरिक सूक्ष्म कारक खराब हो रहे हैं। इसके अलावा धीमी वैश्विक अर्थव्यवस्था, राजनीतिक अनिश्चितता, व्यापार युद्ध और अन्य संरक्षणवादी कारणों के चलते बाहरी कारक भी सहायक नहीं दिख रहे हैं।

 

इस तरह की पृष्ठभूमि में, हम मानते हैं कि सरकार के पास राजकोषीय विस्तार का विकल्प चुनने का समय है, क्योंकि आर्थिक विकास काफी कमजोर हो रहा है। सकल घरेलू उत्पाद का 3.6-3.8 फीसद राजकोषीय घाटा अतिरिक्त फंड प्रदान करेगा इससे सॉवरेन रेटिंग भी प्रभावित नहीं होगी।

नई वित्त मंत्री को कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी। जैसे बैंकों और संकट से जूझ रहे गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियों (NBFC) के लिए पूंजी की व्‍यवस्‍था करना। हालांकि, अगर आरबीआई सरकार को पूंजी देता है, तो राजकोषीय घाटे को 3.4 फीसद पर बरकरार रखा जा सकता है। वहीं, इससे राजस्व और पूंजीगत व्यय दोनों को बूस्ट मिल सकता है। राजकोष को ठीक सीमा में बनाए रखने के अन्य उपाय के तौर पर विनिवेश का लक्ष्‍य बढ़ाना, निजीकरण और बेहतर कर अनुपालन को अपनाया जा सकता है।

इन सब के आधार पर, महत्वपूर्ण कर बदवाव हो भी सकते हैं और नहीं भी। जीएसटी संबंधी घोषणाएं बजट का हिस्सा नहीं है, उसके बारे में जीएसटी काउंसिल द्वारा अलग से निर्णय होगा। हम सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह अपने चुनावी वादों को पूरा करेगी और पॉलिसी में निरंतरता बनाए रखेगी। सरकार के तीन प्रमुख लक्ष्य होने चाहिए- उपभोग बढ़ाना, निवेश को प्रोत्साहित करना और रोजगार पैदा करना।

पिछले अनुभवों के अनुसार, सरकार बजट में अर्थव्यवस्था और पॉलिसी फ्रेमवर्क के लिए अगले पांच साल के रोडमैप पर भी रोशनी डाल सकती है। अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचे और सामाजिक विकास की योजनाओं के लिए बड़े मील के पत्थर स्थापित किये जा सकते हैं, जिससे बाजार को एक नई उर्जा मिले। हमे उम्मीद है कि इस बजट में लेबर लॉ और न्याय सुधार जैसे महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिलेंगे।

इसके अलावा मध्य वर्ग को शेयर बाजार और ऋण बाजारों में निवेश से मुनाफा कमाने में मदद करने के लिए, वित्त मंत्री को गंभीरता से विचार करना चाहिए। जैसे इक्विटी लिंक्ड सेविंग (ईएलएसएस) स्कीम की तर्ज पर म्यूचुअल फंड को डेट लिंक्ड टैक्स सेविंग स्कीम लॉन्च करने की अनुमति दी जाए। डेट लिंक्ड टैक्स सेविंग स्कीम 5 साल की अवधि के लिए लॉक हो सकती है।

केंद्रीय बजट ऐसे समय में आ रहा है जब अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की स्पष्ट आवश्यकता महसूस हो रही  है। इसलिए बड़ी चुनौती कट-आउट है। हालांकि, हम उम्मीद करते हैं कि वित्त मंत्री मध्य वर्ग व ग्रामीण आबादी को खुश रखने, अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने, उपभोग तथा निवेश को बढ़ाने और उद्योग की अनुकूलता के बीच संतुलन बनाए रखेंगी। अब कितना अच्छा संतुलन बनाया जाता है, यह तो बजट पेश होने पर ही पता चल पाएगा। 

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