पंजाब विधानसभा में रिटायर्ड जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट पेश होने के बाद अकाली दल ने जमकर हंगामा किया. मामले में कम समय मिलने की शिकायत को लेकर अकाली विधायक स्पीकर के सामने वेल में पहुंचे. जहां उन्होंने स्पीकर के खिलाफ नारेबाजी की और कमीशन की प्रतियां फेंकी. गौरतलब है कि आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले को लेकर रोष जता रही सिख संगत पर पुलिस द्वारा की गई फायरिंग की पूरी जानकारी पूर्व सीएम बादल को थी.
अकाली दल का कहना है कि उन्हें आयोग की रिपोर्ट पर बोलने के लिए सिर्फ 16 मिनट का वक्त दिया गया है जो काफी कम है. हंगामे को देखते हुए वेल के सामने मार्शलों को तैनात किया गया. कांग्रेस विधायकों ने सुखबीर बादल और अकाली दल को लेकर हूटिंग की. मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भी गुस्से में खड़े हो गए.
बता दें कि पंजाब में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामलों की जांच करने के लिए सीएम अमरिंदर सिंह ने रिटायर्ड जस्टिस रणजीत सिंह की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित की थी. आयोग ने सोमवार को विधानसभा में 4 हिस्सों में रिपोर्ट पेश की. जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के अलावा पंजाब के अलग-अलग जिलों में हुई श्रीमद्भागवत गीता और कुरान शरीफ की बेअदबी से जुड़े मामलों की विस्तृत जांच का ब्यौरा भी दिया गया है.
ब्यौरा में ये भी कहा गया है कि श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले को लेकर रोष जता रही सिख संगत पर पुलिस द्वारा की गई फायरिंग की पूरी जानकारी पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को थी.
इसके साथ जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की रिपोर्ट को भी सदन की मेज पर रखा गया, जिसमें कई पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है.
आयोग ने बरगाड़ी और बहबल कलां गोलकांड की घटना के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय और 32 पुलिस अधिकारियों को जिम्मेवार ठहराया है. आयोग ने पूर्व मुख्य सचिव सर्वेश कौशल की भी लापरवाही उजागर की है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व सीएम ने कमीशन के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया और जांच में सहयोग नहीं किया. आयोग ने बेअदबी की 222 घटनाओं में से 162 की जांच मौके पर जाकर करने के बाद रिपोर्ट सरकार को सौंपी है.
आयोग ने सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या बादल इतने असहाय थे कि धरना उठाने के लिए बल प्रयोग के प्रस्ताव से सहमत हो गए? डीजीपी ने जिला प्रशासन और मनतार बराड़ से बात की थी तो जाहिर है कि मुख्यमंत्री ने पहले से ही डीजीपी से इस संबंध में बात की होगी. बरगाड़ी और बुर्ज जवाहर सिंह वाला की घटनाएं सोची-समझी साजिश का नतीजा थीं. इसके अलावा बठिंडा में गुरुसर, मोगा में मल्लिके की घटनाएं भी गंभीर थीं.