आयरलैंड में इस साल की शुरुआत में हुए एक ऐतिहासिक जनमत संग्रह के बाद देश की संसद ने गुरुवार को एक विधेयक पारित कर पहली बार गर्भपात की अनुमति दे दी. आयरिश प्रधानमंत्री लियो वराडकर ने इसे ‘‘ऐतिहासिक क्षण’’ करार देते हुए इस कदम की प्रशंसा की है.
गौरतलब है कि सविता हलप्पनवार भारतीय दंत चिकित्सक थीं जिनकी 31 साल की उम्र में 2012 में मौत हो गई थी, क्योंकि चिकित्सकों ने गर्भपात करने से मना कर दिया था. इस मौत की वजह से आयरलैंड में एक आंदोलन खड़ा हो गया जिसके बाद जनमत संग्रह कराया गया और अब देश की संसद ने कानून में बदलाव के लिये एक विधेयक को पारित करके गर्भपात की अनुमति दी है.
नये कानून के मुताबिक, 12 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी गई है, या ऐसी स्थिति, जिसमें गर्भवती महिला की जान को खतरा या उसके स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचता हो, तब उस स्थिति में महिला को गर्भपात कराने की अनुमति होगी. यह असामान्य भ्रूण को खत्म करने की अनुमति भी देगा जो जन्म के 28 दिनों के भीतर या उससे भी पहले शिशु की मृत्यु का कारण बन सकता है.
मई में हुये जनमत संग्रह में 66 प्रतिशत लोगों ने गर्भपात पर संवैधानिक प्रतिबंध को खत्म करने के पक्ष में वोट दिया था, जिसका प्रधानमंत्री वराडकर ने समर्थन किया था. वराडकर ने कहा, ‘‘आयरिश महिलाओं के लिए ऐतिहासिक क्षण. इसका समर्थन करने वाले सभी लोगों को धन्यवाद.’’ 1980 से अब तक करीब 170,000 आयरिश महिलाओं को गर्भपात कराने के लिए पड़ोसी देश ब्रिटेन जाना पड़ा है.