आम पापड़ के ये खास फायदे जान लेंगे तो यकीनन खाने को मन ललचाएगा

आम पापड़ के ये खास फायदे जान लेंगे तो यकीनन खाने को मन ललचाएगा

थोड़ी-सी धूप क्या लगी, आम ने स्वाद ही बदल लिया। कभी खट्टा, तो कभी मीठा। देखें, तो मुंह में पानी आ जाए। किचन में रखा हो, तो जी ललचाए। आम पापड़ चीज ही ऐसी है। भूमंडलीकरण के इस दौर में आम पापड़ भी ‘शान’ की बात है। आम पापड़ नाम जरा भ्रामक है। यह आम के जायके वाला पापड़ नहीं, बल्कि खट्ठे-मीठे स्वाद वाले एक चूरन की बिरादरी वाला खाद्य पदार्थ है, जिसके बारे में यह धारणा प्रचलित है कि यह छोटे बच्चों और महिलाओं की पसंदीदा चीज है।आम पापड़ के ये खास फायदे जान लेंगे तो यकीनन खाने को मन ललचाएगा

 

अंग्रेजियत के मारे शहरियों को यह देहाती मेले-ठेले की सौगात लगती है, जिसे धूल-गर्द और मक्खियों के कारण परहेज करना ही बेहतर है। जो लोग लिंगभेदी अथवा भूरी साहबी मानसिकता के कारण आम पापड़ से कतराते रहे हैं, उन पर तरस ही खाया जा सकता है। वास्तव में, यह आम जैसे स्वादिष्ट फल का आनंद हर मौसम में ले सकने का स्वदेशी फल संरक्षण का पारंपरिक तरीका है, जिसका वर्गीकरण खानपान के विशेषज्ञ ‘फ्रूट लेदर’ की श्रेणी में करते हैं।

 

भारत के विभिन्न प्रांतों में आम पापड़ को अलग-अलग नाम से पहचाना और पुकारा जाता रहा है। हिंदी में ‘अमावट’, तो बंगाली में ‘आमसोट्टो’, असमिया में ‘आमटा’, तेलुगु में ‘मामिडी तंद्रा’, मराठी में ‘अंबावड़ी’ आदि। उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम देश के सभी हिस्सों में यह लोकप्रिय है। आम पापड़ बनाने के लिए आम के गूदे को चीनी के गाढ़े घोल के साथ मिलाकर थाली या परात में फैलाकर धूप में सुखाया जाता है। एक परत के सूखने के बाद उसके ऊपर दूसरी परत बिछाकर यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है, जब तक मनचाहा मोटापा हासिल न हो जाए। इसके बाद इसकी लंबी परत काटकर इस्तेमाल की जाती है। इनका आनंद आप बर्फी या टॉफी की तरह भी ले सकते हैं। 

हल्के पारदर्शी कागजी आवरण में आम पापड़ को ‘मैंगो कैंडी’ के रूप में पेश किया जाने लगा है और इसका निर्यात भी हो रहा है। अभी हाल ही में अमृतसर की छोटी-सी यात्रा में शहर में खाऊ गली के रूप में मशहूर लौरेंस रोड पर ‘राम लुभाया’ की पुरानी सिर्फ आम पापड़ बेचने वाली दुकान पर जाने का मौका मिला। जहां एक दो नहीं, दर्जन भर विभिन्न प्रकार के तरह-तरह के रंग-रूप और स्वाद वाले आम पापड़ों से मुलाकात हुई। आमतौर पर पीले रंग की पट्टी ही नजर आती है। इस खोमचे पर दिन भर भीड़ लगी रहती है। आम पापड़ों को पत्तल पर ग्राहक की पसंद के अनुसार, चाट की तरह नफासत के साथ परोसा जाता है, चाहें तो इमली के लड्डू तथा अनारदाना वाले चूरन के साथ।

 
एक मसालेदानी में कई किस्म के पिसे मसाले रहते हैं, जिन्हें दुकानदार आम पापड़ के ऊपर हल्का-सा छिड़कर देते हैं, फिर बस चंद बूंदे कागजी नींबू के रस की! रही बात साफ-सफाई की, तो कांच के बर्तनों के आस-पास मक्खियां फटक भी नहीं सकतीं। दुकानदार पांच ताराछाप होटलों की तर्ज पर हाथ में कागजी दस्ताने पहन आम पापड़ निकालते हैं और उसे पत्तल पर सजाते हैं, जिनको खाने के लिए दिए जाते हैं टूथ पिक। हाथ से ही खाना चाहें, तो हैंड सेनिटाइजर हाजिर है अर्थात् नौजवान विलायत पलट पीढ़ी और प्रवासियों को आकर्षित करने के लिए आम पापड़ ने चोला बदलना शुरू कर दिया है।

आज आम पापड़ के मनचाहे किस्म और भरोसे वाले ब्रांड को आप ऑनलाइन ऑर्डर देकर घर मंगवा सकते हैं। यह देहाती कस्बाती ‘मुलुक मेवा’ नहीं रह गया। इसका भूमंडलीकरण हो चुका है। कुछ प्रयोग प्रेमी शेफ आम पापड़ का इस्तेमाल अपने ‘डेजर्ट’ (यानी भोजनोपरांत पेश किए जाने वाले मिष्ठान्न) को अनोखा बनाने के लिए कर रहे हैं, तो कुछ और किसी सॉसनुमा चटनी को असाधारण बनाने के लिए। आप कह सकते हैं, यह तो इब्तदा है आगे-आगे देखिए होता है क्या!

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