आम जनता कब कर सकेंगे अबु धाबी के हिंदू मंदिर के दर्शन?

अबू धाबी में पहला हिंदू मंदिर 1 मार्च से जनता के लिए खोला जाएगा। बता दें कि इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर का उद्घाटन किया था। लगभग 700 करोड़ रुपये की लागत से इस मंदिर का निर्माण बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा अबू मुरीखा में किया गया।

भव्य मंदिर का उद्घाटन 14 फरवरी को एक समर्पण समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने किया था, जिसमें 5,000 से अधिक आमंत्रित लोग शामिल हुए थे। 15 से 29 फरवरी तक पहले से पंजीकरण कराने वाले विदेशी श्रद्धालुओं या वीआईपी मेहमानों को मंदिर में दर्शन की अनुमति दी गई थी। अब मंदिर 1 मार्च से सुबह 9 बजे से रात 8 बजे तक जनता के लिए खुला रहेगा। मंदिर हर सोमवार को बंद रहेगा। इसकी जानकारी मंदिर के एक प्रवक्ता ने दी है।

राजस्थान से आया बलुआ पत्थर

इस मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाली 18 लाख ईंटों और 1.8 लाख घन मीटर बलुआ पत्थर राजस्थान से लाए गए है। यह मंदिर अयोध्या में हाल ही में उद्घाटन किए गए राम मंदिर की तरह, वास्तुकला की नागर शैली में बनाया गया है।

मंदिर के अधिकारियों के अनुसार, भव्य मंदिर का निर्माण शिल्प और स्थापत्य शास्त्रों में वर्णित निर्माण की प्राचीन शैली के अनुसार किया गया है। बता दें कि इस मंदिर के लिए जमीन यूएई सरकार ने दान में दी थी। BAPS हिंदू मंदिर पूरे खाड़ी क्षेत्र में सबसे बड़ा है। इस मंदिर में सात मीनारें, ऊंटों की नक्काशी, राष्ट्रीय पक्षी बाज, मेजबान देश को समान प्रतिनिधित्व देने के लिए मंदिर के पत्थरों में दर्शायी गई है।

सात शिखरों पर देवताओं की मूर्ति

वहीं, मंदिर के सात शिखरों पर देवताओं की मूर्तियां बनी हुई हैं, जिनमें भगवान राम, भगवान शिव, भगवान जगन्नाथ, भगवान कृष्ण, भगवान स्वामीनारायण (भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है), तिरूपति बालाजी और भगवान अयप्पा शामिल हैं। सात शिखर संयुक्त अरब अमीरात के सात अमीरात का प्रतिनिधित्व करते हैं। मेजबान देश को समान प्रतिनिधित्व देने के लिए, भारतीय पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले हाथी, ऊंट और शेर जैसे जानवरों के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रीय पक्षी, बाज को भी मंदिर के डिजाइन में शामिल किया गया है।

मंदिर में बहता है गंगा और यमुना का पवित्र जल

मंदिर में रामायण और महाभारत सहित भारत की 15 कहानियों के अलावा माया, एज़्टेक, मिस्र, अरबी, यूरोपीय, चीनी और अफ्रीकी सभ्यताओं की कहानियों को भी दर्शाया गया है। जबकि मंदिर की बाहरी दीवारें भारत के बलुआ पत्थर का उपयोग करके बनाई गई हैं, आंतरिक सफेद इतालवी संगमरमर से बना है, जो जटिल डिजाइन और नक्काशीदार स्तंभों और दीवारों से सुशोभित है। बता दें कि मंदिर के दोनों किनारों पर गंगा और यमुना का पवित्र जल बहता है, जो विशाल कंटेनरों में भारत से लाया गया था।

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