फेस्टिव सीजन शुरू हो चुका है। लंबे समय से सेल्स में कमी से परेशान ऑटो कंपनियों के त्योहारी मौसम से काफी उम्मीदे हैं। वे उम्मीद कर रही हैं कि इस फेस्टिव सीजन में उनकी सेल में अच्छी खासी वृद्धि हो सकती है। इसके लिए ऑटो कंपनियों ने अपने स्टॉक्स रेडी रखा है और अच्छी बुकिंग की आशा कर रही हैं।
इस सीजन में डिमांड बढ़ाने के लिए उन्होंने फ्री इंश्योरेंस, कैश डिस्काउंट और एक्सटेंडेंट वारंटी जैसे कई ऑफर्स का ऐलान किया है। इस सेंटिमेंट को भुनाने के कुछ बैंकों ने कार लोन पर प्रोसेसिंग फीस में छूट और ब्याज दर में कुछ आधार अंक की छूट देने की घोषणा की है। इस त्योहारी सीजन में अगर आप ऑटो लोन लेने का मन बना रहे हैं तो आपको इन चीजों को ध्यान में रखना होगाः
1. अपना क्रेडिट स्कोर एवं ईएमआई अफोर्डेबिलिटी पता करें
अगर आप ऑटो लोन लेना चाहते हैं तो सबसे जरूरी है अपना क्रेडिट स्कोर जानना। ऐसा इसलिए कि जब आप ऑटो लोन के लिए अप्लाई करेंगे तो बैंक आपकी क्रेडिट हिस्ट्री को खंगालेंगे। कई बैंक आपके क्रेडिट स्कोर के आधार पर लोन पर इंटरेस्ट रेट फिक्स करते हैं। आम तौर पर जिन लोगों का क्रेडिट स्कोर 750 से अच्छा होता है उन्हें आसानी से लोन मिल जाता है। अगर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री अच्छी नहीं है तो आपके लोन अप्लीकेशन के रिजेक्ट होने के चांसेज भी रहते हैं।
इसलिए लोन अप्लीकेशन से पहले क्रेडिट स्कोर जानना जरूरी है। आप ऑनलाइन जाकर क्रेडिट ब्यूरो या विश्वसनीय पोर्टल से अपना क्रेडिट स्कोर जान सकते हैं। यहीं नहीं, अगर आप अपने क्रेडिट स्कोर से संतुष्ट नहीं हैं और आपको लगता है कि स्कोर के आकलन में कोई गलती है या धोखाधड़ी हुई है तो आप उसे दुरुस्त करा सकते हैं। एक बार क्रेडिट स्कोर बेहतर होने के बाद आपको लोन मिलने का चांस बढ़ जाता है। इसके साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि आप कितनी राशि की ईएमआई अफोर्ड कर सकते हैं।
2. विभिन्न पैमाने पर करें लेंडर्स का आकलन
अगर आपने गाड़ी लेने का तय कर लिया है और अपना क्रेडिट स्कोर जांच लिया है तो अगला कदम होगा लेंडर को चुनना। लेंडर चुनते समय बहुत से लोग गलती करते हैं कि वे सिर्फ बैंकों का इंटरेस्ट रेट चेक करते हैं। इसकी जगह आपको विभिन्न चीजों को ध्यान में रखना चाहिए। मसलन बैंक की प्रोसेसिंग फीस क्या है, लोन की अवधि क्या है, तय समय से पहले लोन के पेमेंट पर क्या चार्जेज लगते हैं। इन सभी पैमाने पर चेक करने के बाद हो सकता है कि आपका पहले का निर्णय बदल जाए।
बैंक आम तौर पर कार की कीमत का 85-90 फीसद तक डाउन पेमेंट करते हैं। इसलिए अगर आप कार खरीदने की सोच रहे हैं और फर्ज कीजिए की कार की कीमत 10 लाख रुपये है तो आपको अपने पॉकेट से 1 से 1.5 लाख रुपये देने होंगे। इसका मतलब यह हुआ कि बॉरोअर को अपने पॉकेट से 10-15 फीसद रुपये देने होंगे।
इस त्योहारी सीजन में कई बैंक 100 फीसद का लोन देने की पेशकश कर रहे हैं। हालांकि, आपको अधिक-से-अधिक डाउन पेमेंट की कोशिश करनी चाहिए ताकि आपको कम-से-कम लोन लेना पड़े। ऐसा इसलिए कि आप जितना कम लोन लेंगे, आपको उतना ही कम लोन एवं इंटरेस्ट का पेमेंट करना होगा। ऑटो लोन पर आम तौर पर बैंक 8.6 फीसद से लेकर 14 फीसद के बीच ब्याज लेते हैं।