आप भी जानिए, क्या है जैन धर्म और कैसे मिला नाम

प्राचीन समय में तप और मेहनत से ज्ञान प्राप्त करने वालों को श्रमण कहा जाता था। जैन धर्म प्राचीन भारतीय श्रमण परम्परा से ही निकला धर्म है। ऐसे भिक्षु या साधु, जो जैन धर्म के पांच महाव्रतों का पालन करते हों, को ‘जिन’ कहा गया। हिंसा, झूठ, चोरी, ब्रह्मचर्य और सांसारिक चीजों से दूर रहना इन महाव्रतों में शामिल हैं। जिन समुदाय के संयुक्त रूप को नाम मिला जैन धर्म का।

आख़िर कौन हैं जैन

‘जिन’ के अनुयायियों को जैन कहा गया है। यह धर्म अनुयायियों को सिखाता है कि वे सत्य पर टिकें, प्रेम करें, हिंसा से दूर रहें, दया-करुणा का भाव रखें, परोपकारी बनें और भोग-विलास से दूर रहकर हर काम पवित्र और सात्विक ढंग से करें। मान्यता है कि जैन पंथ का मूल उन पुरानी परम्पराओं में रहा होगा, जो इस देश में आर्यों के आने से पहले प्रचलित थीं। यदि आर्यों के आने के बाद से भी देखें तो ऋषभदेव और अरिष्टनेमि को लेकर जैन धर्म की परम्परा वेदों तक पहुंचती है। महाभारत के समय इस पंथ के तीर्थंकर नेमिनाथ थे।

क्या है तीर्थंकर की भूमिका

जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं । तीर्थंकर उन जैन अनुयायियों को कहा जाता है जिन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हो गई हो। जैन धर्म के तीर्थंकरों ने अपने मन, अपनी वाणी और काया को जीत लिया था।

जैन धर्म के संप्रदाय

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com