आपदा से पहले रोकथाम संबंधी कदम उठाएं : राजनाथ सिंह

आपदा संबंधी जोखिमों को कम करने को लेकर रोकथाम संबंधी कदम उठाने की जरूरत पर जोर देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि सरकार ने राज्य आपदा राहत कोष को साल 2015-20 के लिए लगभग दोगुना करते हुए 61,000 करोड़ रुपये से अधिक कर दिया है। राजनाथ सिंह ने यहां नेशनल प्लेटफार्म फार डिसास्टक रिस्क रिडक्शन (एनपीडीआरआर) की दो दिवसीय दूसरी बैठक का उद्घाटन करते हुए कहा, “आपदा जोखिम को कम करने के लिए हमें पहले ही रोकथाम संबंधी आवश्यक कदम उठाने चाहिए। यह विकल्प नहीं, बल्कि जरूरत है। इलाज की तुलना में बचाव बेहतर है।”

आपदा से पहले रोकथाम संबंधी कदम उठाएं : राजनाथ सिंह

एनपीडीआरआर की पहली बैठक नवंबर 2016 में हुई थी। राजनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस संबंध में राज्य आपदा राहत कोष को साल 2010-15 के 33,580.93 करोड़ रुपये से बढ़ाकर साल 2015-20 के लिए 61,220 करोड़ रुपये कर दिया है।  उन्होंने कहा कि इस साल के एनपीडीआरआर कार्यक्रम का उद्देश्य आपदा प्रबंधन तथा सतत विकास को लेकर 2030 तक के लिए कार्ययोजना बनाना है।

उन्होंने कहा, “साल 1999 में ओडिशा में तूफान, साल 2001 में गुजरात में भूकंप में और साल 2004 में सुनामी में हमने 10,000 लोगों की जानें और करोड़ों रुपये की संपत्ति गंवाई। हम इन दो दिन की बैठक में आपदा के जोखिम को कम करने के लिए रोकथाम, शमन, तैयारी, प्रतिक्रिया, पुनर्निर्माण तथा पुनर्वास पर पूर्णरूप से विचार कर वर्ष 2017 से वर्ष 2030 तक की कार्य योजना बनाएंगे।” राजनाथ सिंह ने याद दिलाया कि भारत आपदा जोखिम वाला देश है, जहां की 50 फीसदी आबादी बाढ़, भूकंप, सूखा, सुनामी तथा तूफान से प्रभावित है।

भारत प्राकृतिक आपदाओं से निपटने को लेकर विभिन्न वैश्विक समझौतों जैसे सतत विकास लक्ष्य, आपदा जोखिम में कटौती के लिए सेंडाई ढांचा तथा जलवायु परिवर्तन पर सीओपी 21 पेरिस समझौता का अगुआ है।  उन्होंने कहा, “अब हमारा ध्यान आपदा से होने वाले नुकसान को कम करने पर है।” राजनाथ सिंह ने कहा कि आपदा में लोगों के जीवन व संपत्ति की क्षति रोकने के लिए भारत ने एनपीडीआरआर का गठन किया था।

उन्होंने कहा कि उन गतिविधियों पर लगाम लगाने की जरूरत है, जो जलवायु परिवर्तन का कारण हैं। उन्होंने जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने पर जोर दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने मंत्रालयों को उनके संबंधित क्षेत्रों में जोखिम को लेकर आपदा प्रबंधन योजना बनाने को कहा है।

उन्होंने कहा, “मुझसे बताया गया है कि कृषि मंत्रालय ने पालतू पशुओं की सुरक्षा के लिए एक मवेशी आपदा प्रबंधन योजना तैयार की है, जो दुनिया में अपनी तरह की पहली पहल है।” मंत्री ने नेशनल डेटाबेस फॉर इमरजेंसी मैनेजमेंट 3.0 पर एक विवरणिका जारी की जिसे अंतरिक्ष विभाग ने विकसित किया है। इस मौके पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन, केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि तथा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के.मिश्रा मौजूद थे।

 

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