बिहार में एनडीए की सीटों के बंटवारे पर अमित शाह और नीतीश कुमार ने शुक्रवार को बड़ी घोषणा की. दोनों पार्टियां लोकसभा चुनाव में बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. दूसरी तरफ अमित शाह और नीतीश कुमार की घोषणा के बाद बिहार में एनडीए के सहयोगी केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी यादव ने अरवल में मुलाकात की और लोकसभा चुनाव को लेकर भी बातचीत की.
एलजेपी की 7 सीटों की मांग
अमित शाह और नीतीश कुमार की बैठक के बाद सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी है कि अगर दोनों पार्टियों ने सीटों का बंटवारा कर लिया, तो उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी और रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी का क्या होगा. मीडिया रिपोर्टों में ऐसी बात सामने आई है कि एलजेपी 7 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने पर राजी नहीं है, जबकि बीजेपी इतनी सीटें देने पर तैयार नहीं दिखती. क्या ऐसी सूरत में दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन बना रहेगा या टूट जाएगा, यह सवाल बिहार के साथ-साथ केंद्र की राजनीति में भी अहम बन गया है.
पासवान के बारे में कहा जा रहा है कि वे खराब सेहत की वजह से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते. इसके बदले वे राज्यसभा में जाना पसंद करेंगे. इसके लिए संभावना जताई जा रही है कि उनकी पार्टी 7 सीटों की मांग से पीछे हट जाए और बीजेपी जिन सीटों पर बात करे, उस पर दोनों पार्टियों में सहमति बन जाए. हालांकि इसके बारे में जब तक कोई आधिकारिक घोषणा सामने न आए, तब तक इसे कयास ही माना जा रहा है.
सीट शेयरिंग का ऐलान होने के बाद एलजेपी नेता चिराग पासवान ने काफी सावधानी के साथ बयान दिया और कहा कि उनकी पार्टी एनडीए गठबंधन को और मजबूत करने में लगी है. हालांकि बाद में कई एलजेपी नेता शाह और नीतीश के सीट शेयरिंग फॉर्मूले से नाराज दिखे और जेडीयू को दिए जा रहे ‘वजन’ पर इशारे में नाराजगी जाहिर की. सूत्रों के हवाले से खबर है कि एलजेपी को 6 सीट दी जा सकती है, जबकि पासवान की पार्टी 7 से कम पर तैयार नहीं दिखती.
पासवान के लिए राज्यसभा का दांव
सूत्रों की मानें तो अगर उपेंद्र कुशवाह एनडीए में रहते हैं तो बीजेपी को 16 सीट, जेडीयू को भी 16 सीट, एलजेपी को 5, आरएलएसपी को 2 और आरएलएसपी से निलंबित अरुण कुमार को एक सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है. इन सीटों के गणित में एलजेपी और आरएलएसपी का नाराज होना साफ दिखता है क्योंकि बिहार एलजेपी के अध्यक्ष और पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस खुलेआम बोल चुके हैं कि उनकी पार्टी को 7 से कम सीटें नहीं चाहिए. ऐसे में 2 सीटों की कमी बीजेपी के साथ संबंधों में खटास ला सकती है लेकिन पासवान को राज्यसभा से भेजने की रणनीति आगे इसमें दांव पर लग सकती है.
उधर, उपेंद्र कुशवाह की नाराजगी लंबे दिनों से चर्चा का विषय है. वे काफी पहले से बीजेपी पर सीट शेयरिंग को लेकर दबाव बना रहे हैं. शुक्रवार को तेजस्वी यादव से मुलाकात के बाद ये माना जा रहा है कि कुशवाह की पार्टी आरएलएसपी एनडीए में नहीं रहेगी. ऐसे में सीटों का गणित इधर-उधर हो सकता है. सूत्रों की मानें तो ऐसी स्थिति में बीजेपी 17, जेडीयू भी 17, लोजपा 5 और अरुण कुमार एक सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं.
असम से राज्यसभा जाएंगे पासवान
कहा जा रहा है कि बिहार से आठ बार सांसद रहे और एलजेपी के अध्यक्ष रामविलास पासवान 2019 लोकसभा चुनाव में हाजीपुर से चुनाव नहीं लड़ेंगे. सूत्रों के मुताबिक, रामविलास पासवान को बीजेपी असम से अप्रैल 2019 में राज्यसभा भेज सकती है. पासवान अगर चुनाव नहीं लड़ते हैं और बीजेपी उन्हें राज्यसभा से संसद में भेजती है तो बिहार में एनडीए की सीट शेयरिंग ये होगी-बीजेपी 17, जेडीयू को भी 17 सीट, एलजेपी 5 (सलेमपुर या देवरिया में से एक सीट की मांग) और आरएलएसपी से निलंबित अरुण कुमार को जहानाबाद से एक सीट.