आध्र प्रदेश में एक नर्सिंग छात्रा की हत्या के मामले में नया मोड़ आ गया है। इस केस की दोबारा से जांच के लिए शव का पोस्टमार्टम कराया गया। इससे पहले इस केस की जांच कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को आदेश दिए थे। इस मामले पर सीबीआइ ने जनवरी 2019 को दोबारा से जांच शुरू कर दी थी। गौरतलब है कि छात्रा का उसके छात्रावास से शव मिला था। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी सत्यम बाबू को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यह घटना साल 2007 की है।
यह घटना विजयवाड़ा की है। 12 सालों बाद इस केस में दोबारा से शव को पोस्टमार्टम कराया गया। छात्रा फार्मेसी की पढ़ाई कर रही थी। मंगलवार को इस संवेदनशील केस में दोबारा से शव का पोस्टमार्टम किया गया। साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस भयानक क्राइम की गुत्थी सुलझाने के लिए सीबीआइ को जांच के आदेश दिए गए थे। बता दें कि 19 साल की छात्रा का शव उसके छात्रावास में 27 दिसंबर 2007 की रात विजयवाड़ा में मिला था। इसके बाद छात्रा के परिवारवालों ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी की दुष्कर्म और हत्या करने के सभी सबूत मिटाए गए। छात्रा के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में इस केस की याचिका डाली। अपनी याचिका में उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटी की हत्या में उनके संबंधी, मंत्री और उसके दोस्त शामिल हैं।
इसके बाद साल 2008 में पुलिस ने बताया कि सत्या बाबू को फोन चोरी करने के आरोप में गिरफ्तार गिया गया है। जिसने अपना जूर्म स्वीकार कर लिया है। जांच के बाद महिला कोर्ट ने विजयवाड़ा में आरोपी को 10 सितंबर 2010 को तमाम उम्र फांसी की सजा सुनाई।
मामले पर हाई कोर्ट की तरफ से इस केस की जांच के आदेश दिए। यही नहीं राज्य सरकार ने इस केस की जांच करने के लिए एसआइटी भी गठित की। जब एसआइटी में इस केस की जांच ठीक से नहीं हो पाई तो हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच करने के लिए सीबीआइ को आदेश दिए। इसके बाद सीबीआइ ने इस केस की जांच करने के दौरान कई लोगों पर केस दर्ज किए। वहीं छात्रा के परिजनों ने इस केस को आंध्र प्रदेश दिशा एक्ट के तहत जांच करने की अपील की।
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