आधार समेत इन मामलों पर जजों की संवैधानिक पीठ करेगी सुनवाई

आधार समेत इन मामलों पर जजों की संवैधानिक पीठ करेगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में चल रहे जजों के विवाद के बीच शीर्ष अदालत में कई बड़े मामलों पर सुनवाई होनी है। कोर्ट में आज आधार की वैधता से लेकर धारा 377 पर सुनवाई होनी है और यह तय माना जा रहा है कि आज इन मुद्दों पर कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है।आधार समेत इन मामलों पर जजों की संवैधानिक पीठ करेगी सुनवाईआधार की अनिवार्यता पर सवालों के बीच ये सवाल उठा था कि इससे प्राइवेसी को खतरा है। अभी बैंक अकाउंट, पैन कार्ड, मोबाइल और अन्य सभी सोशल सिक्युरिटी स्कीम के लिए आधार को लिंक कराने की आखिरी तारीख 31 मार्च है। इसको अब आगे बढ़ाकर 1 अगस्त किया जा सकता है। 

सु्प्रीम कोर्ट आज धारा 377 की वैधता पर भी सुनवाई करेगा, जिसमें किसी पुरुष या महिला से अप्राकृतिक संबंध बनाना अपराध माना गया है। फिलहाल आपसी सहमति से बनाए गए संमलैंगिक संबंधों को दंडनीय अपराध माना गया है। अगर यह साबित हो जाता है तो 10 साल की जेल भी हो सकती है।

केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री का मामला पर सुनवाई भी कोर्ट की लिस्ट में आज शामिल है। सबरीमला मंदिर में दस से 50 साल तक की महिलाएं, जो रजस्वला हैं, उनके प्रवेश पर पाबंदी है। इसका सामाजिक संगठनों और महिलाओं विरोध कर रही हैं। दरअसल महिलाओं के उस समूह को मंदिर में प्रवेश से रोका जाता है जिन्हें माहवारी होती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान अयप्पा एक ‘नास्तिक ब्रह्मचारी’ थे। 

धारा 497 पर होगी सुनवाई

धारा-497 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट में बहस छिड़ सकती है। इसके मुताबिक व्यभिचार (अडेल्ट्री) मामले में मर्द ही अपराधी क्यों माने जाते हैं, महिलाएं क्यों नहीं? इससे पहले पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 150 वर्ष पूर्व इस कानूनी प्रावधान को प्रथम दृष्टया पुरातनकालीन बताया था।

शीर्ष अदालत का कहना था कि यह प्रावधान महिला और पुरुष को एक समान नजर से नहीं देखता। आपराधिक कानून पुरुष और स्त्रियों के लिए बराबर है लेकिन भारतीय दंड संहिता की धारा-497 में इस सिद्धांत का अभाव है। पीठ ने कहा था कि कोई कानून महिलाओं को यह कहते हुए संरक्षण नहीं दे सकता कि व्यभिचार के मामले में हमेशा महिला पीड़िता होती हैं। 

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