सूत्रों के अनुसार पूर्व में आतंकियों के लिए घुसपैठ का आसान रूट समझे जाने वाले छाप, भाग और तरनाह नाले में लेजर बीम का प्रयोग करने की योजना है। ऐसा इसलिए भी महत्वपूर्ण है चूंकि हर साल बरसात के दिनों में बाढ़ से जहां तारबंदी को नुकसान पहुंचता था, वहीं दरियाई नालों में पहरा बढ़ाना भी बड़ी सिरदर्दी थी।
इन नालों की बनावट कुछ इस तरीके से रही है कि घुसपैठ को रोक पाना बड़ी चुनौती रहती है। लेजर बीम की मदद से सीमा पर होने वाली किसी भी तरह की हलचल को भांपना आसान होगा।
बारिश, घने कोहरे, आंधी और तूफान के समय भी लेजर बीम सीमा पर घुसपैठ के नाकाम मंसूबों को रोकने में कारगर साबित हो सकती है। इस संबंध में बीएसएफ के अधिकारियों ने कुछ दिन पहले इलाके का सर्वेक्षण भी किया था।
उल्लेखनीय है कि बीते ढाई साल में कठुआ जिला तीन बड़े आतंकी हमलों का शिकार हुआ है। ऐसा माना जाता रहा है कि सीमावर्ती इलाकों से रात के समय घुसपैठ कर आतंकी हमले को अंजाम देते रहे हैं। बीते कुछ महीनों से सीमा पर पहरा कड़ा रहने से हीरानगर सेक्टर से घुसपैठ कर पाना आतंकियों के लिए मुश्किल हो गया है।
उल्लेखनीय है कि बीते ढाई साल में कठुआ जिला तीन बड़े आतंकी हमलों का शिकार हुआ है। ऐसा माना जाता रहा है कि सीमावर्ती इलाकों से रात के समय घुसपैठ कर आतंकी हमले को अंजाम देते रहे हैं। बीते कुछ महीनों से सीमा पर पहरा कड़ा रहने से हीरानगर सेक्टर से घुसपैठ कर पाना आतंकियों के लिए मुश्किल हो गया है।
लगातार जारी हो रही खुफिया इनपुट के अनुसार सीमा पार घुसपैठ को साजिशें रची जा रही हैं। ऐसे में दरियाई रूट को महफूज करने के साथ सभी आशंकाओं पर विराम लगा पाना संभव हो पाएगा।