इस बारें में तो हर कोई जानता होगा कि आज वाल्मीकि जयंती है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि कुरान की पहली आयत बिस्मिल्लाह से ही वाल्मीकि की रामायण शुरू हो गई थी। वैसे रामायण का स्मरण करते ही हम सबसे पहले किसी पंडित, मंदिर या फिर किसी हिंदू की छवि को सोचने लग जाते है। हालांकि, ये कम लोगों को मालूम है कि कुरान और रामायण का कनेक्शन बेहद ही पुराना है। हिंदू धर्म का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ रामायण ही कहा जाता है। संस्कृत में इस ग्रंथ की रचना वाल्मीकि ने की थी, लेकिन पवित्र कुरान की सबसे पहली आयात ‘बिस्मिल्लाह अर्रहमान-अर्रहीम’ से रामायण की शुरुआत हुई थी और बेहद कम लोग इस बारें में जानते है।
खास बात ये है कि हिंदू धर्म में किसी भी कार्य की शुरूआत श्री गणेशाय नम: के साथ की जाती है। सुमेर चंद नाम के एक लेखक ने 300 साल पहले इस रामायण का अनुवाद संस्कृत से फारसी में किया गया था। इसके बाद प्रो। शाह अब्दुस्सलाम और डा। वकारुल हसन सिद्दीकी ने फारसी में लिखी इस रामायण का अनुवाद फारसी से हिन्दी में किया गया। साल 1713 में इस रामायण का अनुवाद सुमेर चंद ने संस्कृत से फारसी में किया था।
बगहा में है वाल्मीकि ऋषि का आश्रम: पौराणिक उल्लेखों के बारें में बात की जाए तो बिहार में मिथिला एक प्राचीन नगरी रही है। माता सीता का जन्मस्थान सीतामढ़ी, जनक महाराज का राज्य जनकपुरी के इलाके नेपाल की तराई से लेकर बिहार के सुदूर इलाके तक फैले हैं। इसी बिहार में एक नेपाल सीमा पर स्थित है बगहा। तीन नदियों के किनारे वन इलाका में बसा यह हराभरा स्थान है, और कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि का आश्रम यहीं था। यही वह जगह थी, जहां तमसा नदी के किनारे रामायण की रचाना की गई थी। श्रीराम के पुत्रों लव-कुश का जन्म हुआ। सीता माता वन में यहीं रहीं और कहते हैं कि यहीं वे धरती में भी समा गईं।