आज है मत्स्य जयंती, जानें क्यों भगवान विष्णु ने लिया था मत्स्य अवतार

Matsya Jayanti 2022: शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान विष्णु ने मत्स्य का अवतार लिया था। जिसके बाद से हर साल इस दिन मत्स्य जयंती के रूप में मनाया जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु से इस अवतार को सृष्टि की रक्षा के लिए लिया था। मत्स्य  जयंती का संयोग काफी अच्छा है क्योंकि आज के दिन नवरात्रि का तीसरा दिन भी है। जहां नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा के दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी तो वहीं तृतीया तिथि को भगवान विष्णु के प्रथम अवतार का प्राकट्य माना जाता है।

मत्स्य जयंती 2022 तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मत्स्य जयंती मनाई जाती है। इस बार मत्स्य जयंती आज मनाई जा रही है। क्योंकि तृतीया तिथि 3 अप्रैल दोपहर शुरू हो रहे है जो आज दोपहर रहेगी। पर्व उदया तिथि में मनाया जाता है।  इस कारण यह पर्व आज के दिन मनाया जाएगा।

मत्स्य जयंती शुभ मुहूर्त

तृतीया तिथि आरंभ- 3 अप्रैल 2022 दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से

तृतीया तिथि समाप्त- 4 अप्रैल 2022 दोपहर 1 बजकर 54 मिनट तक

ऐसे करें पूजा

आज के दिन पूरे घर को शुद्ध करने के लिए गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद एक चौक में पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु को चंदन, अक्षत, पुष्प, फूल माला आदि चढ़ाकर ध्यान करें। इसके साथ ही इस मंत्र का जाप करें और अंत में आरती आदि करते ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इसी तरह शाम के समय भी भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा करें।

मंत्र-

वंदे नवघनश्यामं पीत कौशेयवासयम्।

सानंदम् सुंदरम शुद्धं श्रीकृष्णं प्रकृतेः: परम् ।।

ऊँ मत्सयरूपाय नम:।।

मत्स्य अवतार की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने एक छोटी सी मछली धारण किया  और वह अपने परम भक्त सत्यव्रत मनु के पास गए। जब मनु अर्घ्य दे रहे थे। वह मछली उनकी अंजुली में आ गई और मनु से बोली कि मुझे अपने कमंडल में रख लो, जिससे मेरी जान बच जाए। ऐसे में मनु ने मछली के ऊपर दया खाकर उसे अपने कमंडल में रख दिया। दूसरे दिन मनु ने देखा कि मछली इतनी बड़ी हो गई है कि कमंडल भी छोटा पड़ गया। इसके बाद मनु ने एक गड्ढा बनाया और उसमें पानी भर कर मछली को डाल दिया। लेकिन दूसरे दिन मछली इतनी बड़ी हो गई कि गड्ढा छोटा पड़ गया। ऐसे में मछली ने मनु ने कहा कि मुझे सागर में डाल दो और अगले ही दिन मछली ने अपने आकार से पूरे सागर को ढक लिया। इसके बाद मछली अपने वास्तविक रूप में आई और मनु से बोली कि आज से सातवें दिन जल प्रलय आने वाला है। इसलिए सृष्टि की रक्षा के लिए तमाम चीजों को एक नाव में रख लें और मैं इसे प्रलय तक संभाल कर रखूंगा। सातवें दिन जल प्रलय के दौरान भगवान विष्णु से मछली के रूप में मनु सहित अन्य चीजों की रक्षा की । इसके बाद फिर से सृष्टि का निर्माण हो पाया।  

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