आश्विन मास की चतुर्दशी के बाद अमावस्या आती है, जिसे पितृविसर्जनी अमावस्या या महालया भी कहते है। इस वर्ष अमावस्या तिथि 28 सितम्बर को है। इस वर्ष 20 वर्ष के बाद सर्वपितृ अमावस्या का संयोग शनिवार को पड़ रहा है।
इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध किया जाता है जिन पितरों की पुण्यतिथि परिजनों को ज्ञात नहीं हो या जिनका श्राद्ध पितृपक्ष के 15 दिनों में ना किया गया हो तो उनका श्राद्ध, दान, एवं तर्पण इसी दिन करते हैं। इस तिथि को समस्त पितरों का विसर्जन होता है।
श्रीमद्भगवद् गीता का पाठ हरिवंश पुराण पितृ गायत्री का जप करने से भी पितृ शान्त होते हैं। अमावस्या को दिन में गोबर के कंडे जलाकर उस पर खीर की आहूति दें और जल के छींटे देकर हाथ जोड़े और पितरों को नमस्कार करें।
गाय को ग्रास, कुत्ते और कौवे को भी भोजन देने से पितृ शान्त होते हैं। ज्योतिषाचार्य एस.एस.नागपाल के अनुसार प्रत्येक माह की अमावस्या पितरों की पुण्यतिथि मानी गयी है।
कल कर सकते हैं घट स्थापना-
नवरात्र में मां के नौ रूपों का पूजन किया जाता है। शारदीय नवरात्र में शीत ऋतु के आगमन की सूचना देता है। शक्ति की उपासना आश्विन मास के प्रतिपदा से नवमी तक की जाती है। इस वर्ष नवरात्र 29 सितम्बर से 7 अक्टूबर तक है। इस वर्ष 9 दिन की नवरात्र है। 29 सितम्बर रविवार को अश्वनी शुक्ल घट स्थापना शुभ मुर्हूत में की जानी चाहिए।
पं0 आनन्द दुबे व ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि 29 को प्रात?काल कन्या लग्न में 6.01 से 7.24 तक एवं अभिजीत मुहूर्त दिन 11.33 से 12.20 तक घट स्थापना एवं देवी का पूजन किया जा सकता है।