बैंकों से जुड़े काम आज ही निपटा लें। क्योंकि, कल यानी शुक्रवार से ज्यादातर बैंक तीन दिन 21 से 23 दिसंबर तक बंद रहेंगे। 21 को ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन ने सामूहिक हड़ताल का आह्वान किया है। 22 व 23 को बैंकों में अवकाश रहेगा। इस बीच इंटरनेट बैकिंग व एटीएम के अलावा बैंक शाखाओं से लेन-देन नहीं होगा। हालांकि, 24 दिसंबर को बैंक एक दिन के लिए खुलेंगे। फिर 25 दिसंबर को क्रिसमस का अवकाश रहेगा। 26 दिसंबर को यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल बुलाई है। इसके कारण काम और अटक जाएंगे। इस तरह पांच दिन तक बैंकों से जुड़े काम-काज नहीं होंगे।
21 दिसंबर को हड़ताल की वजह : 11वां वेतनमान लागू नहीं करना
बैंकों में 11वां वेतनमान लागू नहीं होने से अधिकारी नाराज हैं। ये 21 दिसंबर को हड़ताल पर रहकर विरोध दर्ज कराएंगे। यह हड़ताल देशव्यापी होगी। इसमें मप्र के राष्ट्रीय व ग्रामीण बैंक के अधिकारी शामिल होंगे। हड़ताल ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन (आईबॉक) के बैनरतले होगी। बुधवार को भोपाल में परिसंघ के पदाधिकारियों ने प्रेसवार्ता कर हड़ताल की जानकारी दी।
आईबॉक के अखिल भारतीय उप महासचिव संजीव सबलोक ने बताया कि 11वां वेतनमान 1 नवंबर 2017 से लागू होना था। इसके लागू होने से अधिकारियों को वेतन समेत सेवाओं में कई लाभ मिलने थे, जो नहीं मिल रहे। आईबॉक की मप्र इकाई के उपमहासचिव रंजीत कुमार व सचिव मदन जैन ने बैंक मर्जर को जन विरोधी बताया। उनका कहना है कि बैंकों का मर्जर आमजन के हित में नहीं है। समय पर व सम्मानजनक वेतनवृद्धि न होने के कारण 21 राष्ट्रीयकृत, 6 ओल्ड एज प्राइवेट बैंक व ग्रामीण बैंकों के लगभग 3.20 लाख अधिकारी, कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। हड़ताल से मप्र की करीब तीन हजार बैंक शाखाओं में बैंकों से जुड़े काम प्रभावित होंगे। आईबॉक मप्र के अध्यक्ष आशीष तिवारी ने बताया कि वेतन वृद्धि को एनपीए से जोड़ना तर्क संगत नहीं है। प्रेसवार्ता में रंजीत कुमार, संदीप चौबे, नीरज साहू, प्रभात भटनागर, दीपक शुक्ला आदि मौजूद थे।
26 दिसंबर को हड़ताल की वजह : बैंकों को मर्ज करना
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के पदाधिकारियों का कहना है कि बैंकों को मर्ज करने की नीति गलत है। इसके कारण बांटे गए कर्ज की वसूली नहीं होगी। बैंकिंग सेक्टर घाटे में चला जाएगा। इसका सीधा नुकसान अधिकारी, कर्मचारियों के भुगतान पर पड़ेगा। देश को भी नुकसान होगा। इस हड़ताल में 8 से 10 यूनियनों के अधिकारी, कर्मचारी शामिल होंगे। हड़ताल से बैंकों को नुकसान होना तय है।