इस्लाम धर्म के लोगों के लिए मुहर्रम का विशेष महत्व है। यह इस्लाम कैलेंडर का पहला महीना होता है। आज यानी 17 जुलाई (Muharram 2024 Date) को मुहर्रम मनाया जा रहा है। इस दिन से इस्लाम के नए साल की शुरुआत होlती है। ऐसे में आइए जानते हैं मुहर्रम का इतिहास महत्व और ताजिया (Tazia) निकालने की वजह के बारे में।
इस्लाम धर्म में मुहर्रम को गम का महीना माना जाता है। इस्लाम धर्मग्रंथों में मुहर्रम के महीने में रोजे रखने का उल्लेख किया गया है। हालांकि, यह रोजे अनिवार्य नहीं है। इसका अर्थ यह हुआ कि कोई भी इंसान अपनी इच्छा पूर्ति के बाद मुहर्रम (Muharram 2024) के महीने में रोजे रख सकता है। इस दिन ताजिया निकाला जाता है और बाद में दफन किया जाता है।
मुहर्रम का इतिहास (Muharram 2024 History)
मुस्लिम धर्म के अनुसार, मुहर्रम का इतिहास 662 ईस्वी पूर्व का है। मुहर्रम के महीने में 10वें दिन ही इस्लाम की रक्षा के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपने जीवन की कुर्बानी दे दी थी। इसी वजह से मुहर्रम महीने के 10वें दिन मुहर्रम मनाया जाता है।
इसलिए निकालते हैं ताजिया
मुहर्रम के दिन मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोग ताजिया निकालते हैं। ताजिया को हजरत इमाम हुसैन के मकबरे का प्रतीक माना जाता है और लोग शोक व्यक्त करते हैं। इसके अलावा इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं। मुस्लिम धर्म के अनुसार, इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत इमाम हुसैन थे, उनके छोटे बेटे का नाम का हजरत मुहम्मद साहब था।
कर्बला की जंग के दौरान उन्होंने इस्लाम धर्म की रक्षा के लिए अपने परिवार और कई लोगों के साथ शहादत दी थी। यह जंग हजरत इमाम हुसैन और इराक के कर्बला में यजीद की सेना की बीच हुई थी। इसी वजह से इस महीने को मुस्लिम धर्म के लोग शोक के रूप मनाते हैं। मुहर्रम के दिन इमाम हुसैन की शहादत की याद में ताजिया निकाला जाता है।
मुहर्रम का महत्व (Muharram 2024 Significance)
बता दें, मुस्लिम रीति-रिवाजों से मुहर्रम को अलग माना जाता है, क्योंकि यह महीना शोक का होता है। मुहर्रम के दिन लोग इमाम हुसैन के पैगाम को लोगों तक पहुंचाते हैं। ऐसा बताया जाता है कि हुसैन ने इस्लाम और मानवता के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। इसी कारण मुहर्रम के दिन शोक मनाया जाता है।