आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है, BCCI के चुनावों को लेकर..

सुप्रीम कोर्ट में आज भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) और लोढ़ा समिति पर सुनवाई होनी है। लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक अभी तक बीसीसीआइ के चुनाव नहीं हो पाए हैं और उसका कामकाज सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति यानी सीओए कर रही है। इस बार भी बीसीसीआइ के चुनाव देरी से हो सकते हैं। 

गुरुवार को होने वाली सुनवाई से पहले बीसीसीआइ के चुनावों की तारीख 22 अक्टूबर तय की गई थी, लेकिन मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए लग नहीं रहा है कि इस बार भी चुनाव समय पर हो पाएंगे। इतना ही नहीं, बीसीसीआई और लोढ़ा समिति पर होने वाली सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट की लिस्ट में बुधवार की शाम तक इस बात का जिक्र नहीं है कि इस पर सुनवाई होगी।  

ऐसा इसलिए भी है क्योंकि जस्टिस एसए बोबडे जो बीसीसीआइ के केस में शामिल हैं, वो अयोध्या मामले पर होने वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ में शामिव हैं, जिस पर सुनवाई लगातार होनी है। उधर, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख विनोद राय ने सोमवार को कहा था कि 26 राज्य संघ बीसीसीआइ के नए संविधान को पूरी तरह अपना चुके हैं

विनोद राय ने यह भी कहा कि संविधान के किसी भी नियम का उल्लंघन राज्य संघों को चुनाव से अयोग्य कर देगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वकीलों और राज्य संघों का कहना है कि यह निर्णय लेना सीओए का नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है। राज्य संघों के वकील अनमोल चिंताले ने साफ कर दिया कि जहां तक राज्य संघों की बात है तो यह निर्णय लेना कि किसी राज्य संघ ने नए संविधान के नियमों का पालन किया है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है, ना कि सीओए के अधिकार क्षेत्र में। सीओए को यह काम दिया गया है कि वह कोर्ट को बताए कि कितने राज्य संघों ने बीसीसीआइ के संविधान का पालन किया है। 

अनमोल ने कहा कि बीसीसीआइ के नए संविधान को सुप्रीम कोर्ट ने पास किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य संघों को अपने संविधान को बीसीसीआइ के संविधान के आधार पर ही बनाना होगा। सभी राज्य संघों ने या तो अपने संविधान में संशोधन किया और उसे पंजीकृत कराया या फिर उसे भंग करते हुए बीसीसीआइ के संविधान को लागू किया। यही संविधान सीओए को भेजे गए हैं ताकि वह इस बात की जांच कर सके कि वे सही तरीके से तैयार किए गए हैं या नहीं। 

बीसीसीआइ के वकीलगुंजन ऋषि ने कहा कि सीओए ने तमाम शंकाओं के बीच यह अर्थ लगा लिया कि राज्य संघ सुप्रीम कोर्ट द्वारा पास किए गए संविधान के आधार पर काम करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में जबकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के पास है और वह जब तक शंकाओं का समाधान नहीं कर देता, तब तक सीओए यह निर्णय नहीं ले सकता कि राज्य संघों द्वारा तैयार संविधान मूल संविधान से मेल खाता है या नहीं। इसे लेकर जल्दबाजी की जा रही है। 

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