आज यूपी के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, और डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी हाथरस पीड़िता के परिवार से मिलेंगे

हाथरस के चंदपा क्षेत्र में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता के गांव को आज मीडिया के लिए खोल दिया गया है। बीते कुछ दिनों से पूरे गांव में बैरिकेडिंग थी और मीडिया का प्रवेश भी वर्जित कर दिया गया था। हालांकि प्रशासन से यह अनुमति सिर्फ मीडिया को दी है, यानी राजनेता आदि गांव में नहीं जा सकते।

आज सुबह से मीडिया के लिए पीड़िता का गांव खोल दिया गया है जिसके बाद दर्जनों पत्रकार गांव में पहुंचे। सुबह से ही अलग-अलग पत्रकार घरवालों से सवाल-जवाब कर रहे हैं। मीडिया के सवाल-जवाब से परेशान होकर घरवालों ने मीडिया से दूरी बना ली है। मीडिया से बचने के लिए परिवार के सभी लोगों ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया है।

जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि आप लोगों को क्या लगता है कि मीडिया को क्यों अंदर आने दिया गया है। इस पर गांव के कई लोगों और पीड़िता के परिवार ने आरोप लगाया है कि इसमें प्रशासन की बहुत बड़ी चाल है। बीते दो दिन से कड़ी सुरक्षा थी और कल रात से धीरे-धीरे सुरक्षा व्यवस्था कम की गई। उन्हें डर है कि कहीं इससे उनकी बेटी इंसाफ से दूर न हो जाए।

पीड़िता के परिवार ने आरोप लगाया था कि प्रशासन उन्हें धमका रहा था जिस पर एसडीएम ने सफाई दी है। एसडीएम का कहना है कि पीड़िता के परिवार को किसी तरह की धमकी नहीं दी गई है। धमकी देने की बात सरासर गलत है।

खबर है कि आज राहुल और प्रियंका गांधी फिर दोपहर 12.30 बजे तक हाथरस जाने की कोशिश कर सकते हैं। इसी के चलते यमुना एक्सप्रेसवे और जेवर टोल प्लाजा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

जानकारी के अनुसार आज यूपी के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी हाथरस और डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी आकर परिवार से मिलेंगे। उनके आने से पहले गांव में पुख्ता इंतजाम कर लिए गए हैं। ड्रोन कैमरे से गांव की निगरानी की जा रही है।

पीड़िता के भाई ने कहा कि हम मुआवजा बढ़ाने की नहीं बल्कि न्याय की मांग कर रहे हैं। भाई ने कहा कि हमें सरकारी नौकरी भी नहीं चाहिए, मकान भी नहीं चाहिए आप मुआवजा भी ले लीजिए लेकिन मेरी बहन को न्याय दीजिए। भाई ने ये भी बताया कि बहन के शव को

कुछ पत्रकारों ने जब पीड़िता की मां से पूछा कि एडीजी  तो कह रहे हैं कि आपकी बेटी का दुष्कर्म नहीं हुआ तो इस पर मां बोली कि मेरी बेटी मुझे निर्वस्त्र हालत में मिली थी। मैंने उसे कपड़े पहनाए थे।

पीड़िता के परिवार का आरोप है कि मीडिया ने उन्हें धमकाया है। मीडिया को इजाजत देना प्रशासन की चाल है। पुलिस ने हमारे साथ मारपीट की। हमसे कहा कि क्या बेटी कोरोना से मरती तो मुआवजा नहीं मिलता। हमें यूपी पुलिस पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। हमें इंसाफ चाहिए। परिवार ने ये भी आरोप लगाया है कि कल कोई एसआईटी की टीम घर नहीं आई। सिर्फ पुलिसवाले गांव में मौजूद थे। परिवार का ये भी आरोप है कि पुलिसवालों ने कहा कि तुम्हारे खाते में 25 लाख आ गए हैं अपना मुंह बंद रखो।

आरोपी लवकुश की मां अब न्याय मांग रही हैं। वह कह रही हैं कि अगर मेरे बेटे गुनहगार हैं तो उन्हें गोली मार दी जाए आरोपी की मां का कहना है कि उनके बेटों को फंसाया गया है। पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की बात भी सामने नहीं आई है। उसके भाई पर ही हत्या का आरोप लग रहा है। आरोपी की मां खुलकर बिटिया के घर के सामने ही हंगामा कर रही हैं और पीड़िता के घरवालों पर गंभीर आरोप लगा रही हैं।

मालूम हो कि गांव में बैरिकेडिंग करके मीडियाकर्मियों को रोके जाने का विरोध खुद भाजपा के कई नेताओं ने किया था। उमा भारती ने भी ट्वीट कर मीडिया को रोके जाने को गलत बताया था। उन्होंने कई ट्वीट कर लिखा, योगी आदित्यनाथ जी आपको जानकारी होगी ही की मैं कोरोना पॉजिटिव होने के चलते एम्स ऋषिकेश के कोरोना वार्ड में भरती हूं। उन्होंने आगे लिखा, आज मेरा यहां सातवां दिन है और इसलिए मैं अयोध्या मामले पर विशेष सीबीआई कोर्ट में पेश भी नहीं हो पाई। यद्यपि मैं किसी से मिल नहीं सकती, फोन नहीं कर सकती लेकिन टीवी है जिससे की समाचार मिलते हैं।

वह आगे बोलीं, मैंने हाथरस की घटना के बारे में देखा। पहले तो मुझे लगा की मैं ना बोलूं क्योंकि आप इस संबंध में ठीक ही कार्यवाही कर रहे होंगे। किंतु जिस प्रकार से पुलिस ने गांव की एवं पीड़ित परिवार की घेराबंदी की है उसके कितने भी तर्क हों लेकिन इससे विभिन्न आशंकाये जन्म लेती हैं। वह एक दलित परिवार की बिटिया थी। बड़ी जल्दबाजी में पुलिस ने उसकी अंत्येष्टि की और अब परिवार एवं गांव की पुलिस के द्वारा घेराबंदी कर दी गई है।

उमा भारती ने ये भी कहा कि, मेरी जानकारी में ऐसा कोई नियम नहीं है कि एसआईटी जांच में परिवार किसी से मिल भी ना पाए। इससे तो एसाईटी की जांच ही संदेह के दायरे में आ जाएगी।

 

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