शुक्रवार को देशवासियों को बढ़ते हुए पेट्रोल-डीजल के दामों पर बड़ी राहत मिल सकती है। सऊदी अरब ने फिर से तेल की सप्लाई बढ़ाने की वकालत की है। सऊदी अरब के तेल मंत्री ने कहा है कि मौजूदा माहौल में तेल की सप्लाई 10 लाख बैरल बढ़ाने की जरूरत है।
साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि ओपेक के फैसले ग्राहकों और बाजार के हित में रहेंगे। उन्होंने कहा कि तेल की मांग काफी ज्यादा है, ऐसे में सप्लाई में कमी आती है तो ये बड़ी चिंता की बात होगी। अगर उत्पादन बढ़ाने के लिए निर्णय होता है तो फिर भारत में इसका असर देखने को मिलेगा।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गिरा कच्चे तेल का दाम
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम पिछले 30 दिनों में 6 डॉलर प्रति बैरल कम हो गया है। इस वजह से फिलहाल भारत के लोगों को भी इसका फायदा मिल रहा है। ओपेक देश भी शनिवार को फैसला लेंगे कि वो उत्पादन को बढ़ाएं या फिर कीमतों को ऊंचा रखने के लिए उत्पादन में कटौती करें।
अगर कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती होती है, तो फिर भारत अपनी निर्भरता अरब देशों के बजाए अमेरिका और चीन पर कर देगा, जिससे दाम नियंत्रण में रह सकेंगे। पेट्रोल व डीजल को अगर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाता है, तो उस पर लगने वाले कर की संरचना में 28 फीसदी जीएसटी तथा राज्यों द्वारा लगाया गया कर या मूल्य वर्धित कर (वैट) शामिल हो सकता है। केंद्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
जीएसटी की सबसे उच्च दर (28 फीसदी) तथा वैट दोनों को मिलाकर उतना ही कर भार होगा, जितना यह दोनों ईंधनों पर मौजूदा समय में लग रहा है, जिसमें उत्पाद शुल्क तथा राज्यों द्वारा लगाया गया वैट शामिल है।
आज इतनी गिरी कीमतें
शुक्रवार को पेट्रोल की कीमतों में तेल कंपनियों ने राहत दी है। महानगरों में पेट्रोल 18 पैसे प्रति लीटर तक सस्ता हो गया है। दिल्ली में जहां पेट्रोल 14 पैसे प्रति लीटर, वहीं कोलकाता में 13 पैसे, मुंबई में 18 पैसे और चेन्नई में 15 पैसे प्रति लीटर तक सस्ता हुआ है। हालांकि डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
प्रपोजल पर पहले ईरान सहित 3 ने विरोध जताया था, लेकिन अब वह भी कम मात्रा में सप्लाई बढ़ाने पर सहमत हो गया है। वहीं, रूस भी प्रोडक्शन बढ़ाने पर सहमत है। अगर प्रोडक्शन बढ़ाने पर सहमति बनती है तो क्रूड में गिरावट बन सकती है। फिलमाल अब मार्केट की नजर इसी फैसले पर है।
क्रूड 74 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर
बता दें कि 2016 के अंत में क्रूड की गिरती कीमतों को देखते हुए ओपेक और नॉन ओपेक देशों ने क्रूड प्रोडक्शन घटाने को लेकर एग्रीमेंट किया था। जिसके बाद पिछले 2 साल में क्रूड की कीमतें लगातार बढ़ी हैं। गुरूवार को क्रूड की कीमतें करीब 74 डॉलर प्रति बैरल के रेंज पर बंद हुईं। सप्लाई बढ़ने के संकेतों से पिछले एक महीने के दौरान क्रूड में करीब 6 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आ चुकी है।