लोक सभा चुनाव को लेकर गरमा रहे सियासी माहौल के बीच अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के लिए निर्धारित किए गए 50 प्रतिशत के कोटे से अलग सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को आरक्षण देने के इस निर्णय को मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. इसका फायदा सवर्ण हिंदुओं के साथ-साथ सभी अनारक्षित जाति के गरीब लोगों को मिलेगा. इसमें आर्थिक पिछड़ेपन की परिभाषा ओबीसी के समान ही होगी.
सामाजिक समरसता की दिशा में मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. मोदी कैबिनेट ने सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आर्थिक स्थिति के आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है. इस फैसले से सरकार को सवर्ण जाति के लोगों की नाराजगी दूर करने में कामयाबी मिल सकती है.
लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का बड़ा फैसला गरीब सवर्ण जातियों को आरक्षण…
उल्लेखनीय है कि सोमवार को पीएम मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी. हालांकि मोदी सरकार को इस निर्णय को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना पड़ेगा. इसलिए मंगलवार को लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा. इसी सत्र में इसे पास कराने के उद्देश्य से राज्यसभा की कार्यवाही भी एक दिन बढ़ा दी गई है. पहले शीतकालीन सत्र मंगलवार को ही समाप्त होने वाला था, देर रात भाजपा ने अपने सांसदों को लोकसभा में मौजूद रहने का व्हिप भी जारी कर दिया है.