आज एक आधार कार्ड ने देश में कई तरह के भ्रष्टाचार को खत्म कर दिया : राज्य सभा उप सभापति हरिवंश

आज के इस भाग-दौड़ के बीच किसी भी इंसान के पास किसी के लिए समय नहीं है। ऐसे समय में आत्मनिर्भर बनने का मंत्र ही देश से भ्रष्टाचार को खत्म कर सकता है। इस दिशा में देश ने कदम बढ़ाया है। आज एक आधार कार्ड ने कई तरह के भ्रष्टाचार को खत्म कर दिया। इसी तरह और भी कई टेक्नोलॉजी आएंगे और पूरे सिस्टम को बदल देंगे। ऐसे में देश के लोगों को आत्मनिर्भर बनने की ओर अपना पांव बढ़ाना चाहिए।

यह बातें राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश ने कही। वह अपने गांव सिताबदियारा में गांव के लोगों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अभी के समय में हर किसी की चाह तत्काल धनी बनने की है। ये रास्ता हमें भ्रष्टाचार की दिशा में ले जाता है। यह आत्म मंथन का विषय है।
आज के बीए या एमए तक की डिग्री हासिल कर चुके युवाओं को खुद अपना आंकलन करना होगा कि उसके अंदर उस स्तर तक का ज्ञान है या नहीं है। यदि नहीं है तो इसके लिए दोषी कौन है। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने बहुत कुछ मंथन के बाद देश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनने का मंत्र दिया है।

कौशल विकास की ट्रेनिंग कर बहुत से युवा अपना भविष्य संवार रहे हैं। बहुत से युवा कृषि के क्षेत्र में भी अच्छी सफलता हासिल कर रहे हैं। सरकार की ओर से छोटे-छोटे रोजगार के लिए भी कई तरह के अवसर दिए जा रहे हैं। इसका लाभ देश के हर युवा को उठाना चाहिए। हम केवल डिग्री लेकर तरक्की नहीं कर सकते। विदेशों में हर कोई काम करता है। अपने यहां आराम करते हुए धन अर्जित करने की परंपरा चली आ रही है। यह रास्ता देश को पीछे ले जाने वाला है।

राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि किसी देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि वह हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर बने। अब हमारा देश हथियारों के मामले में तरक्की की राह पर है। ऐसी स्थिति 2014 से पहले तक नहीं थी। अपने देश में 42 ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां हैं। ये फैंक्ट्रियां भरपूर संसाधन के साथ अंग्रेज हमारे लिए छोड़ गए थे। इसके बावजूद भारत दूसरे देशों से ही हथियार खरीदता रहा। इस पर विवाद भी होते रहे, आरोप भी लगते रहे। अब उसका अंत होते दिख रहा है।

राज्य सभा के उपसभापति ने कहा कि हमारा गांव समाज नैतिक बंधन में बंधा रहे, ऐसा प्रयास सभी को करना चाहिए। उन्होंने अपने का हवाला देते हुए कहा कि आज से 50 साल पहले मैंने गांव छोड़ा था। उस वक्त गांव का माहौल ऐसा होता था कि शाम को पढ़ने के समय किसी भी युवा को सड़क पर घूमते देख गांव के किसी भी जाति के बुजुर्ग डांट देते थे। आज स्थितियां बदल गई हैं।

अब किसी की कोई बात सुनने वाला नहीं है। गांव में ऐसा समाज नहीं होना चाहिए। दलगत सोच से अलग गांव का समाज होता है। हर वर्ग के लोग किसी के भी दुख-सुख में शामिल होते हैं। समाज को दूषित करने वाले या समाज को बांटने का प्रयास करने वालों के विरूद्ध नैतिक आंदोलन होना चाहिए। इस मौके पर गांव के आनंद बिहारी सिंह, जैनेंद्र कुमार सिंह, शिक्षक राजेश सिंह, सुनील सिंह, बच्चालाल सिंह, सिताबदियारा के मुखिया सुरेंद्र सिंह, संजय प्रसाद साह आदि रहे।

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