आगरा में कोरोना संक्रमण के प्रकोप से सरकारी अस्पतालों में बेड फिर फुल हो गए हैं। भर्ती के लिए मरीजों की वेटिंग लिस्ट बन रही है। कंट्रोल रूम पर ब्योरा दर्ज कराने के 12 घंटे बाद भी मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा। ऐसे में बुजुर्ग संक्रमित उपचार के इंतजार में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में बेड नहीं, दूसरी तरफ निजी कोविड अस्पतालों में उपचार के नाम पर लूट के आरोप लग रहे हैं।
शाहगंज निवासी एक मरीज के पुत्र ने बताया कि देहली गेट स्थित अस्पताल ने तीन दिन में 1.35 लाख रुपये का बिल दिया है। मैं सरकारी अस्पताल में पिता को भर्ती कराना चाहता हूं, लेकिन बेड खाली नहीं मिल रहा। वहीं दूसरी ओर कमला नगर की एक मरीज के पति ने बताया कि पत्नी के लिए दो दिन पहले एसएन गए थे, बेड खाली नहीं मिलने पर उसे निजी कोविड अस्पताल में भर्ती कराया। यहां इलाज में करीब 35 हजार रुपये रोज खर्च हो रहे हैं।
अमर उजाला ने की पड़ताल
नगर निगम स्थित स्मार्ट सिटी कमांड सेंटर में मंगलवार को कोविड कंट्रोल रूम स्थापित किया गया। जिला प्रशासन ने दावा किया था कि एक फोन पर मरीज भर्ती के लिए बेड से लेकर कोरोना जांच, उपचार व ऑक्सीजन आपूर्ति सुविधा मिलेगी। बुधवार को अमर उजाला ने कंट्रोल रूम की पड़ताल की।
कंट्रोल रूम के नंबर 0562-2551601 पर कॉल किया। मरीज भर्ती कराने के लिए एसएन व जिला अस्पताल में खाली बेड के बारे में पूछा। जवाब, मिला कि एसएन मेडिकल कॉलेज में बेड खाली नहीं है। जिला अस्पताल में भी बेड उपलब्ध नहीं। आप मरीज का नाम, पता दर्ज करा दीजिए, जैसे ही उपलब्ध होगा आपको सूचित किया जाएगा।
दूसरी तरफ देवरी रोड निवासी 65 वर्षीय मरीज के परिजनों ने बताया कि कंट्रोल रूम पर सुबह 9 बजे 20 से अधिक कॉल किए। फोन नहीं उठा। कंट्रोल रूम के व्हाट्सएप नंबर पर मरीज का ब्योरा भेजा, लेकिन शाम 7 बजे तक मरीज को बेड उपलब्ध नहीं हो सका। मरीज होम आइसोलेशन में है। ऑक्सीजन स्तर 80 है। परिजन ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण निजी अस्पताल में भर्ती नहीं करा सकते।
100 से अधिक मरीजों की बुकिंग
कंट्रोल रूम पर बुधवार को 300 से अधिक कॉल आईं। जिनमें 100 से अधिक मरीजों ने बेड के लिए बुकिंग कराई है। बेड उपलब्ध होने पर उन्हें सूचित करने का आश्वासन मिल रहा है। इस संबंध में जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह का कहना है कि 24 घंटे में प्राप्त शिकायतों में 98 फीसदी का निस्तारण किया जा रहा है।
मरीज बढ़ने से ध्वस्त हुए इंतजाम
प्रशासन ने 17 अप्रैल को 22 अस्पतालों में 1413 बेड की सूची जारी की थी। तब एक्टिव केस 1580 थे और 1413 में 750 बेड भर चुके थे। चार दिन बाद एक्टिव केस साढ़े तीन हजार हो गए हैं। इससे 95% बेड भर चुके हैं। इधर, जिला प्रशासन ने नए अस्पतालों में बेड का इंतजोाम किया है, लेकिन इनकी सूची जारी नहीं की गई।