सूत्रों का कहना है कि सच यह है कि बैरक नंबर 3 के अधिकतर कैदी रात को मन ही मन हनुमान चालीसा जपते हैं, या अपने धर्म के अनुसार इबादत करने लगते हैं। दरअसल, जेल के हाई सिक्योरिटी जोन में बंद रहे अफजल गुरु को 9 फरवरी, 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। अफजल गुरु के बारे में 8 फरवरी की रात तक कैदियों को इल्म नहीं था कि अगली सुबह तिहाड़ में उसे फांसी दी जानी है। 9 फरवरी की सुबह 8 बजे अफजल गुरु को फांसी पर जैसे ही लटकाया गया, दोपहर तक तिहाड़ के कैदियों को पता चल गया।
क्या तिहाड़ के बैरक नंबर 3 में अफजल गुरु की आत्मा भटक रही है? यह कैदियों का वहम है, भूत का डर या उनका अंधविश्वास, वजह चाहे जो कुछ भी हो पिछले कुछ दिनों से कैदियों को रात में ठीक से नींद नहीं आ रही। जब-जब उनकी नजर उस अंधेरी कोठरी की तरफ जाने वाली सुनसान गली की तरफ जाती है, एक अजीब सा डर उन पर हावी होने लगता है।
बताया जा रहा है कि जेल नंबर-3 से कैदियों को कभी चीखने की आवाज सुनाई देती हैं तो कभी अन्य तरीकों से उन्हें डराया जाता है। बताया जा रहा है कि कुछ समय पहले भूत ने एक कैदी को पटक-पटककर मारा था। सूत्रों का कहना है कि कथित रूप से जेल में भटकने वाली आत्माओं यानी भूतों को शांत करने के लिए यहां पूजा-पाठ भी होते रहते हैं। इसके बावजूद कई कैदियों ने यह शिकायत की है कि उन्होंने भूत को देखा है।
जेल के कुछ अफसरों का भी मानना है कि तिहाड़ में भूतों का वास है। इन अफसरों का कहना है कि यहां कुछ ऐसे कैदी भी आए जो मुलजिम नहीं थे और वक्त के मारे उन्हें जेल में आना पड़ा। यहां उन्हें दबंग कैदियों ने तरह-तरह से परेशान किया और अंत में उनमें से कई ने जेल के अंदर आत्महत्या कर लीं। ऐसे में उनकी आत्मा यहां भटकती रहती है और कई बार दबंग कैदियों को परेशान करती है।
दरअसल, तिहाड़ कैंपस में वैसे तो 10 जेल हैं लेकिन बैरक नंबर 3 में ही सिर्फ फांसी का तख्ता है। इस जेल में ही अधिकतर खतरनाक आतंकवादी कैद किए जाते हैं। भूतों की जितनी भी शिकायतें जेल अधिकारियों को मिली हैं, उनमें सबसे अधिक बैरक नंबर-3 से ही आई हैं।