सेक्स के दौरान अक्सर ही कपल्स को सुरक्षा के तौर पर कंडोम का यूज़ करने के लिए कहा जाता है. लेकिन देखने को मिला है कि फीमेल कंडोम को सुरक्षित सेक्स के लिए अधिक पॉपुलैरिटी नहीं मिली है. इसका एक कारण जहाँ इसकी प्राइस है तो वही यह भी बताया जाता है कि यह पुरुष कंडोम के मुकाबले अधिक सख्त होता है. केवल इतना ही नहीं, यह भी सुनने में आया है कि पुरुष कंडोम के मुकाबले महिला कंडोम को बनाना भी अधिक कठिन होता है.

फीमेल कंडोम के बारे में अधिक जानकारी देते हुए आपको बता दे कि वैसे तो फीमेल कंडोम छह तरह (क्यूपिड , रेडी FC, FC1, FC2, फोनर्स और पैंटी कंडोम) के होते है, लेकिन आमतौर पर FC1 और FC2 कंडोम का नाम ही सामने आता है. इसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों यूनाइटेड नेशन हेल्थ ऑर्गेनइजेशन डब्ल्यूएचओ ( WHO) और अमेरिकन फूड एंड ड्रग एडमिनिस्टट्रेशन यूएस एफडीए (US FDA) का हाथ है. क्योकि इन दोनों टाइप्स को यहाँ से मान्यता मिली हुई है जबकि अन्य को छोटी संस्थाओं से मंजूरी मिली है.
इस मामले में ही यूनिवर्सल एक्सेस टू फीमेल कंडोम (UAFC) के कानूनी अधिकारी नियांक ब्लोयू का यह कहना है कि डब्ल्यूएचओ और यूएस एफडीए की मंजूरी के बिना डिस्ट्रीब्यूटर्स फीमेल कंडोम को नहीं बेच सकते है. इसके अलावा आपको यह भी बता दे कि फीमेल कंडोम के उपभोक्ताओं के लिए अभी अधिक विकल्प नहीं है. लेकिन जल्द ही चाइनीज एफडीएक एक नए फीमेल कंडोम को मंजूरी देने जा रही है. उम्मीद की जा रही है कि UNFPA और WHO इसे स्वीकृति देने में आनाकानी नहीं करेंगे.
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal