आखिर क्यों एक हजार वर्ष तक अप्सरा रम्भा को बने रहना पड़ा शिला, रहस्य जानकर जायेंगे चौंक

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार अप्सरा देवलोक में रहने वाली अनुपम, अति सुंदर, अनेक कलाओं में दक्ष, तेजस्वी और अलौकिक दिव्य स्त्री है। शास्त्रों के अनुसार देवराज इन्द्र के स्वर्ग में हजारों अप्सराएं थे लेकिन उनमें से 1008

प्रमुख थी। उनमें से भी 11 अप्सराएं प्रमुख सेविका थीं। ये 11 अप्सराएं हैं- कृतस्थली, पुंजिकस्थला, मेनका, रम्भा, प्रम्लोचा, अनुम्लोचा, घृताची, वर्चा, उर्वशी, पूर्वचित्ति और तिलोत्तमा। इन सभी अप्सराओं की प्रधान अप्सरा रम्भा थीं। 

अगर इस फूल को इस रंग के कपडे में बांधकर रख दें तिजोरी में, बहुत जल्द बन जायेंगे अमीर और मालामाल

रम्भा अपने रूप और सौन्दर्य के लिए तीनों लोकों में प्रसिद्ध थी। यही कारण था कि हर कोई उसे हासिल करना चाहता था। रामायण काल में यक्षराज कुबेर के पुत्र नलकुबेर की पत्नी के रूप में इसका उल्लेख मिलता है। रावण ने रम्भा के साथ बलात्कार करने का प्रयास किया था जिसके चलते रम्भा ने उसे शाप दिया था।
कहते हैं कि रम्भा का प्रकट्य समुद्र मंथन से हुआ था। इसीलिए उसे लक्ष्मीस्वरूपा भी कहा जाता है। लेकिन एक अन्य मान्यता अनुसार रम्भा के पिता का नाम कश्यप और माता का नाम प्रधा था।

जब शिला बन गई रम्भा
एक बार विश्वामित्र की घोर तपस्या से विचलित होकर इंद्र ने रम्भा को बुलवाकर विश्वामित्र का तप भंग करने के लिए भेजा लेकिन ऋषि इन्द्र का षड्यंत्र समझ गए और उन्होंने रम्भा को एक हजार वर्षों तक शिला बनकर रहने का शाप दे डाला।
सवाल यह उठता है कि अपराध तो इंद्र ने किया था फिर सजा रम्भा को क्यों मिली? हालांकि वाल्मीकि रामायण की एक कथा के अनुसार एक ब्राह्मण द्वारा यह ऋषि के शाप से मुक्त हुई थीं। लेकिन स्कन्द पुराण के अनुसार इसके उद्धारक ‘श्वेतमुनि’ बताए गए हैं, जिनके छोड़े बाण से यह शिलारूप में कंमितीर्थ में गिरकर मुक्त हुई थीं।

रम्भा तीज : रम्भा के नाम से एक तीज भी आती है। यह तीन ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन होती है। इस दिन व्रत भी रखा जाता है और रम्भा की पूजा भी होती है। इस दिन विवाहित स्त्रियां गेहूं, अनाज और फूल के साथ चूड़ियों के जोड़े की भी पूजा करती हैं। जिसे अप्सरा रम्भा और देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। अविवाहित लड़कियां भी अच्छे वर की कामना से इस व्रत को रखती हैं।
कहते हैं कि आकर्षक सुन्दरतम वस्त्र, अलंकार और सौंदर्य प्रसाधनों से युक्त-सुसज्जित, चिरयौवना रम्भा के बारे में कहा जाता है कि उनकी साधना करने से साधक के शरीर के रोग, जर्जरता एवं बुढ़ापा समाप्त हो जाते हैं।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com