वैसे तो बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा नेता मुलायम सिंह यादव और आरजेडी मुखिया लालू प्रसाद यादव ब्राह्मणवाद या मनुवादी सोच के सख्त खिलाफ रहे हैं. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती तो बौद्ध धर्म का अनुसरण करती हैं और हिंदू धर्म के किसी भी कर्मकांड का विरोध करती हैं. ये सभी नेता हिंदू समाज में व्याप्त वर्ण व्यवस्था का विरोध करते रहे हैं. लेकिन महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विशोकानंदजी ने वर्ण व्यवस्था की हिमायत करते हुए कहा है कि यह व्यवस्था इनसानों की नहीं बल्कि वेद प्रतिपादित व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि अगर लालू यादव, मुलायम सिंह और मायावती भी किसी तीर्थ स्थान पर जाती हैं तो उन्हें वहां ब्राह्मणों की आवश्यकता पड़ेगी.
नेताओं की समरसता एक ढकोसला
महंत विशोकानंदजी ने ये बातें उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण में देश के 12 ज्योतिर्लिंगों की पूजा परंपरा पर आधारित शैव महोत्सव में कहीं. समाचार पत्र ‘नई दुनिया’ में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, महंत ने कहा कि नेताओं का समरसता पर उपदेश के ढकोसला है. मंचों पर तो नेता देश और समाज में समरसता की बात करते हैं, लेकिन बाद में वही लोग जाति और धर्म के नाम पर आरक्षण की वकालत करते हैं.
कर्मकांड और पूजा विषय पर आयोजित बोलते हुए उन्होंने कहा कि 84 लाख योनि पार करने के बाद जीवात्मा के शुद्धिकरण के लिए मनुष्य का जन्म मिलता है. और इस मनुष्य जीवन का विशेष परिमार्जन करने के लिए चार वर्ण बनाए गए हैं. इन वर्णों में होकर ही मनुष्य शुद्ध होता है और अंत में संन्यास ग्रहण करता है. उन्होंने कहा कि समरसता का अर्थ सबको मिलाना नहीं बल्कि जो जहां है उसे वहां समृद्ध बनाना है. उन्होंने कहा कि आरक्षण के कारण यह व्यवस्था प्रभावित होती है, इसलिए आरक्षण को आर्थिक आधार पर बनाना चाहिए, ना कि जातिगत आधार पर.
इस सम्मेलन में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी हिस्सा लिया. संघ प्रमुख ने समरसता की वकालत करते हुए कहा कि देश को सामाजिक तौर पर समरस और भेदभावमुक्त बनाने के लिए सभी नागरिकों को एक-दूसरे के साथ समान रूप से आत्मीयता भरा बर्ताव करना चाहिए. भागवत ने कहा, “हमें मातृभूमि की भक्ति करते हुए सम्पूर्ण समाज को अपना मानना होगा. हमें अपने-पराये और छोटे-बड़े के भेदभाव से मुक्त होना होगा. हमें सबसे एक समान बर्ताव करना होगा.”
मायावती की धमकी
बता दें कि बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने आजमगढ़ में एक कार्यक्रम में भाजपा को ‘खुली चेतावनी’ देते हुए कहा था कि अगर उसने दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के प्रति अपनी सोच नहीं बदली तो वह हिन्दू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म अपना लेंगी. उन्होंने कहा, ‘‘मैं भाजपा को खुली चेतावनी देती हूं कि अगर उन्होंने दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों तथा धर्मान्तरण करने वाले लोगों के प्रति अपनी हीन, जातिवादी और साम्प्रदायिक सोच नहीं बदली तो मुझे भी हिन्दू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला लेना पड़ेगा.’’ बसपा अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा करने से पहले वह शंकराचार्यों, धर्माचार्यों तथा भाजपा के लोगों को अपनी सोच बदलने का मौका दे रही हैं. नहीं तो अंत में और उचित समय पर वह भी अपने करोड़ों अनुयायियों के साथ हिन्दू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म की दीक्षा ले लेंगी.