
उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि सरजी, आपके बयान में बिहार के लिए अपमानजनक भाषा का उपयोग बिहार के खिलाफ आपके पूर्वाग्रह और द्वेष को दर्शाता है, बस इस बात पर ध्यान दें कि आंध्रप्रदेश के लोग आपको फिर से क्यों वोट दें?
आखिर क्यों चंद्रबाबू नायडू की आंखों में खटक रहे हैं प्रशांत किशोर
एेसे में सबसे अहम सवाल ये है कि चंद्रबाबू नायडू ने प्रशांत किशोर पर इतना बड़ा आरोप क्यों लगाया है? उनके बयानों से लगता है कि वो प्रशांत किशोर से डरे हुए हैं। इसके पीछे वजह भी है कि प्रशांत किशोर जिसके लिए चुनाव प्रचार करते हैं उसे सफलता मिलती ही है। चाहे वो पिछला आम चुनाव हो या बिहार में महागठबंधन के लिए सरकार बनाना, पंजाब में अमरिंदर सिंह की मिली जीत इस ओर इशारा करती है प्रशांत किशोर जिसके साथ हो जाएं वो जीत जाए।
चुनावी रणनीति का लंबा अनुभव है पीके को
प्रशांत किशोर को चुनावी रणनीति बनाने का लंबा अनुभव है। वे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चुनावी रणनीतिकार रहे हैं।
किशोर ने 2017 में पंजाब और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ भी काम किया था। पंजाब में कांग्रेस को कामयाबी मिली थी जबकि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के हिस्से में बड़ी जीत आई थी।
साल 2014 में भाजपा को जीत दिलाने वाले प्रशांत किशोर की पार्टी से दूरियां बढ़ गईं। इसके बाद उन्होंने अपने गृह राज्य बिहार में 2015 के विधानसभा के चुनाव में विपक्षी महागठबंधन के लिए काम किया। इस चुनाव में भी उनकी रणनीति सफल रही और बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी। इसके साथ ही प्रशांत किशोर और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजदीकियां बढ़ीं।
पिछले कुछ दिनों से प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार के बीच तल्खी की बातें सामने आयीं जिसपर प्रशांत किशोर ने कुछ खासा रिएक्शन नहीं दिया और चुप्पी साध ली है।
अपना पुराना एसाइनमेंट पूरा कर रहे हैं पीके
बता दें कि प्रशांत किशोर को जदयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है, लेकिन प्रशांत किशोर ने भी अपने चुनावी रणनीति के पिछले सारे एसाइनमेंट पूरा करने की बात कही है और उसमें लगे हुए हैं। उसी के तहत चुनावी प्रचार के लिए सेवा देने वाली प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक ने इन दिनों नायडू के खिलाफ खड़े वाईएसआर के लिए प्रचार का जिम्मा थाम रखा है।
लालू-नीतीश को साथ लाए, दिलाई महागठबंधन को जीत
बता दें कि 2014 के विधानसभा चुनाव में एक दूसरे के धुर विरोधी रहे लालू प्रसाद यादव व नीतीश कुमार को कांग्रेस के साथ जोड़कर एक साथ महागठबंधन की छतरी के नीचे लाने में प्रशांत किशोर की बड़ी भूमिका रही। यह रणनीति काम आई।
संभवतः इन्हीं बातों से आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की आंखों में प्रशांत किशोर खटक रहे हैं और इसीलिए चुनाव प्रचार के दौरान आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को निशाने पर लिया है। बिहारी डकैत तक करार देते हुए चंद्रबाबू नायडू ने यहां तक कह डाला कि यह आंध्र प्रदेश है, बिहार नहीं।
डाटा चोरी का लगाया है आरोप
चंद्रबाबू नायडू ने प्रशांत किशोर पर आरोप लगाया है कि उन्होंने आंध्र प्रदेश में फॉर्म 7 का बहुत बड़ा घोटाला किया है। उन्होंने यह भी कहा कि जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के साथ मिलकर उन्होंने टीडीपी के प्रति सहानुभूति रखने वाले लाखों वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से कटवाए हैं।
उन्होने यह भी कहा कि जांच में यह भी पता चला है कि सारा खेल बिहार से रचा गया है और नाम कटवाने के लिए भेजे गए आवेदन बिहार से भेजे गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि टीडीपी कार्यकर्ताओं और समर्थकों से जुड़े कई डाटा प्रशांत किशोर ने चोरी छिपे हासिल किए और फिर उसको जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस को सौंप दिया है।
चंद्रबाबू नायडू चुनाव प्रचार सभा को संबोधित कर रहे थे। टीडीपी प्रमुख ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार के द्वारा गठित स्पेशल एसआईटी जांच कर रही है और यह सारा खेल प्रशांत किशोर के दिमाग की उपज है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशांत किशोर ने वाईएसआर को सेवाएं मुहैया कराने के नाम पर काफी घृणित काम किया है।
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