भारतीय संस्कृति में पीपल को देववृक्ष माना गया है, पीपल के पेड़ प्राचीन काल से ही भारतीय जनमानस में विशेष रूप से पूजनीय रहा है। कहते हैं कि पीपल के दर्शन-पूजन से दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनिवार को पीपल की पूजा का शास्त्रों में विशेष महत्व क्यों माना गया है?

दरअसल ऐसा माना गया है कि प्रत्येक शनिवार पीपल की सेवा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनिवार को पीपल वृक्ष के पूजन और सात परिक्रमा करने से तथा काले तिल डालकर सरसो तेल का दीपक को जलाकर छायादान से शनि की पीड़ा का शमन होता है। अथर्ववेदके उपवेद आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग बताया गया है।
शनिवार की अमावस्या में पीपल के पूजन से शनि के अशुभ प्रभाव सेमुक्ति प्राप्त होती है।श्रावण मास में अमावस्या की समाप्ति पर पीपल वृक्ष के नीचे शनिवार के दिन हनुमान की पूजा करने से बडे संकट से मुक्ति मिल जाती है। पीपल का वृक्ष ब्रह्मस्थानहै। इससे सात्विकता बढ़ती है। इसलिए पीपल के पेड़ की शनिवार के दिन पूजा करने से शनिदोष दूर होता है।
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