चुनाव के दौरान लगभग हर किसी को यह लग रहा था कि यहां भाजपा और कांग्रेस अपना खाता नहीं खोल पाएंगे। परिणामस्वरूप असली लड़ाई तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और वाईएसआर कांग्रेस के बीच रहेगी। परिणाम भी ऐसा ही रहा क्योंकि दोनों पार्टियां यहां अपना खाता तक नहीं खोल पाईं। नंबर दिखाते हैं कि इस बार नोटा (इनमें से कोई नहीं) श्रेणी को दोनों राष्ट्रीय पार्टियों की तुलना में लोकसभा और विधानसभा में सबसे ज्यादा वोट मिले हैं। नोटा को 25 लोकसभा सीटों में से 1.5 प्रतिशत वोट मिले जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत 0.96 रहा। कांग्रेस का प्रदर्शन थोड़ा सा बेहतर रहा और उसे 1.29 फीसदी मत मिले।