भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की आज होने वाली बैठक पर पूरे देश की नजर है। नए गवर्नर शक्तिकांत दास की तरफ से गुरुवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश की जाएगी। बाजार के जानकारों का मानना है कि दास की अगुआई में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का रुख ब्याज दरों को लेकर नरम रहता है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी।
वहीं, सरकार निश्चित तौर पर यह पसंद करेगी कि आम चुनावों से ठीक पहले पेश होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कमी की जाए ताकि होम लोन और ऑटो लोन की दरों में और कमी हो सके।
भाजपा ने वर्ष 2014 के अपने चुनावी घोषणा में यह वादा किया था कि वह होम लोन व अन्य कर्जे की दरों को कम करेगी। वहीं एसबीआई की आर्थिक शोध इकाई ने अपनी रिपोर्ट में कहा गया था कि आरबीआई ब्याज दरों को घटाने के लिए रेपो रेट में 0.25 की कटौती कर सकता है।
रेपो रेट (वह दर जिस पर बैंक अपनी अतिरिक्त पूंजी आरबीआई के पास जमा करते हैं) ही अल्पावधि मे ब्याज दरों को तय करने में अहम भूमिका निभाती है।
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स कह चुकी है कि कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट और महंगाई की दर में भारी गिरावट को देखते हुए ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बनती है। कटौती की उम्मीद इसलिए भी बढ़ गई है कि अभी महंगाई में कुछ और वृद्धि होगी, तब भी यह आरबीआई के लक्ष्य से नीचे ही रहेगी।