राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने गुजरात के वलसाड जिले में एक गुप्त फैक्ट्री पर छापा मारकर 22 करोड़ रुपये मूल्य की अल्प्राजोलम नाम की मादक दवा जब्त की है। इस कार्रवाई में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें इस अवैध कारोबार के मास्टरमाइंड, फाइनेंसर और निर्माता शामिल हैं। डीआरआई के अनुसार, जांच में पता चला है कि यह दवा तेलंगाना भेजी जानी थी, जहां इसे ताड़ी में मिलाने की योजना थी।
क्या है अल्प्राजोलम?
अल्प्राजोलम एक प्रिस्क्रिप्शन दवा है, जिसका इस्तेमाल मानसिक रोगों या चिंता कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर किया जाता है। भारत में यह एनडीपीएस एक्ट, 1985 के तहत सख्ती से नियंत्रित है। बिना अनुमति इसके निर्माण, बिक्री, या परिवहन पर कड़ी सजा का प्रावधान है।
‘ऑपरेशन व्हाइट कॉडल्रन’ के तहत कार्रवाई
डीआरआई ने इस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन व्हाइट कॉडल्रन’ नाम दिया था। खुफिया जानकारी के आधार पर अधिकारियों ने फैक्ट्री पर नजर रखी और मंगलवार को अचानक छापा मारा। छापे में पूरी तरह सुसज्जित अवैध दवा निर्माण यूनिट मिली, जिसमें बड़े पैमाने पर उत्पादन के उपकरण जैसे रिएक्टर, सेंट्रीफ्यूज, रेफ्रिजरेशन यूनिट और हीटिंग मैन्टल मिले।
छापे में क्या-क्या हुई बरामदगी?
डीआरआई की छापेमारी में 9.55 किलो अल्प्राजोलम (तैयार रूप में), 104.15 किलो अर्ध-तैयार अवस्था में और 431 किलो कच्चा माल और रासायनिक पदार्थ को बरामद किया गया है। जानकारी के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए चार लोगों में दो मुख्य आरोपी (निर्माता और फाइनेंसर), एक कर्मचारी और एक ग्राहक शामिल है, जो तेलंगाना से दवा लेने आया था।
2025 में डीआरआई ने चार ड्रग फैक्ट्रियों का भंडाफोड़
डीआरआई ने बताया कि इसी साल अगस्त में भी आंध्र प्रदेश के अच्युतापुरम (अनकापल्ली जिला) में एक ऐसी ही अवैध फैक्ट्री पकड़ी गई थी, जहां से 119.4 किलो अल्प्राजोलम जब्त की गई थी। वह खेप भी तेलंगाना के लिए ही थी। इस साल अब तक डीआरआई ने चार अवैध ड्रग फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ किया है। एजेंसी का कहना है कि ऐसे ऑपरेशनों से मादक पदार्थों की अवैध सप्लाई और उनके खतरनाक उपयोग पर बड़ी रोक लगी है।
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