अस्थमा (asthma) एक क्रॉनिक डिजीज है जो बच्चों और बड़ों दोनों को प्रभावित करती है। यह फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है। इसे दवाओं और जीवनशैली में कुछ बदलावों की मदद से कंट्रोल किया जाता है। इसके अलावा इस बीमारी को नियंत्रित रखने के लिए इससे जुड़े कुछ मिथकों और उनकी सच्चाई के बारे में जानना भी जरूरी है।
अस्थमा (asthma) लंग से जुड़ी एक क्रॉनिक बीमारी है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। सांस की नली के आसपास की मांसपेशियां संकुचित और संक्रमित हो जाती हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है और अस्थमा के अटैक की वजह बनती है। रात भर खांसना, सांस में घरघराहट जैसी आवाज आना, सांस लेने में तकलीफ, सीने में तनाव महसूस होना, जिससे सांस लेने में दर्द होने लगे, ये सभी अस्थमा के कुछ लक्षण हैं।
कुछ लोगों में अस्थमा ठंडे मौसम या मौसम बदलने पर ट्रिगर होता है, लेकिन साथ ही अस्थमा से जुड़े कुछ मिथक लोगों को दिग्भ्रमित भी करते हैं। इसलिए अस्थमा से जुड़े कुछ अहम मिथक की जानकारी होना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं अस्थमा से जुड़े कुछ आम मिथक-
मिथ- अस्थमा को ठीक किया जा सकता है।
सच्चाई- सही इलाज और दवाइयों से अस्थमा के लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में ऐसी कोई दवा मौजूद नहीं है, जो अस्थमा को हमेशा के लिए ठीक करने का दावा करे। ये एक लॉन्ग टर्म कंडीशन है, जिसके लक्षणों को मैनेज कर के रहना ही इसका इलाज है।
मिथ- अस्थमैटिक लोगों को स्पोर्ट्स नहीं खेलना चाहिए।
सच्चाई- अस्थमा से पीड़ित लोगों को सक्रिय जीवनशैली जीने के लिए प्रेरित किया जाता है और मेडिकल गाइडेंस के तहत स्पोर्ट्स और जिम ज्वाइन करने की सलाह दी जाती है। एक सक्रिय जीवन लंग्स को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है।
मिथ- अस्थमा मात्र बचपन में ही होता है।
सच्चाई- अस्थमा एक चाइल्डहुड बीमारी के रूप में सामने आ सकती है, लेकिन ये एडल्टहुड तक बनी रहती है।
मिथ- व्हीजिंग यानी घरघराहट नहीं है, तो अस्थमा भी नहीं है।
सच्चाई- व्हीजिंग का न होना इस बात की गारंटी नहीं देता कि अस्थमा निष्क्रिय हो चुका है। व्हीजिंग आमतौर पर कानों से सुनाई देता है, लेकिन जब ये न सुनाई दे तब डॉक्टर इसे स्टेथोस्कोप से चेक करते हैं, जहां ये साफ सुनाई देता है।
मिथ- अस्थमा एक से दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है।
सच्चाई- अस्थमा किसी वायरस या बैक्टीरिया द्वारा फैली हुई बीमारी नहीं है, जो एक से दूसरे व्यक्ति में फैल जाएगी। बल्कि कई जेनेटिक और वातावरण से प्रभावित हो कर अस्थमा होता है, जो छूने या संपर्क में आने से नहीं फैलता है।
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