सर्वपितृ अमावस्या पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि होती है। 15 दिन तक पितृ घर में विराजते हैं और हम उनकी सेवा करते हैं फिर उनकी विदाई का समय आता है। इसीलिए इसे ‘पितृविसर्जनी अमावस्या’, ‘महालय समापन’ या ‘महालय विसर्जन’ भी कहते हैं। अगर कोई श्राद्ध तिथि में किसी कारण से श्राद्ध न कर पाया हो या फिर श्राद्ध की तिथि मालूम न हो तो सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है। सर्वपितृ अमावस्या उन पितरों के लिए भी होती है जिनके बारे में आप नहीं जानते हैं। अत: सभी जाने और अनजाने पितरों हेतु इस दिन निश्चित ही श्राद्ध किया जाना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन सभी पितर आपके द्वार पर उपस्थित हो जाते हैं। आओ जानते हैं श्राद्ध करने का समय और मुहूर्त।

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